सड़क पर नमाज, हनुमान चालीस का पाठ आदि धार्मिक आयोजन के लिए अब प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।

सड़क पर नमाज, हनुमान चालीस का पाठ आदि धार्मिक आयोजन के लिए अब प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। यूपी के अलीगढ़ के डीएम का यह आदेश कितना उचित? क्या इससे शांति कायम हो सकेगी?

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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट चन्द्रभूषण सिंह ने एक आदेश जारी कर कहा है कि सड़क पर किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन के लिए अब जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। यदि कोई व्यक्ति बगैर अनुमति के धार्मिक गतिविधियां सड़क पर करेगा तो उसके विरुद्ध कार्यवाही होगी। असल में पिछले कुछ दिनों से अलीगढ़ में शनिवार और मंगलवार को सार्वजनिक स्थलों पर हनुमान चालीस के पाठ हो रहे हैं। आयोजकों का साफ कहना है कि जब शुक्रवार और अन्य खास मौकों पर सड़कों एवं सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ी जा रही है तो हनुमान चालीसा के पाठ भी होंगे। इस तनातनी को देखते हुए ही अलीगढ़ के डीएम को आदेश जारी करना पड़ा है। सवाल है कि क्या यह आदेश उचित है? क्या इस आदेश से शांति कायम हो जाएगी? कानून व्यवस्था की दृष्टि से देखे तो डीएम का आदेश सही है, क्योंकि यह आदेश समान रूप से सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा और इससे विवाद की स्थिति को टाला जा सकता है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या मौजूदा हालातों में डीएम के आदेशों की क्रियान्विति हो सकती है? यूपी ही नहीं पूरे देश में शुक्रवार और खास अवसरों पर मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर नमाज पढ़ते हैं। इस दौरान यातायात बंद कर दिया जाता है। कई बार यातायात रुकने से एम्बुलैंस भी फंस जाती हैं। मरीज का समय पर इलाज नहीं हो पाता। अब यदि मंगलवार और शनिवार को बीच सड़क पर हनुमान चालीसा के पाठ भी होंगे तो लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी। धर्म तो आम लोगों की परेशानियों को दूर करता है। कोई भी धर्म लोगों को परेशान करने की शिक्षा नहीं देता। मुस्लिम विद्वानों के अनुसार नमाज की वजह से किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए और नमाज की जगह कभी भी विवादित नहीं होनी चाहिए। विवादित भूमि और लोगों को परेशान करने वाली नमाज कभी भी कबूल नहीं होगी। इसलिए इस्लाम में नमाज के लिए मस्जिद बनाई हैं ताकि सुकून के साथ नमाज पढ़ी जा सके। वैसे भी नमाज में अल्लाह से अमन चैन और देश की खुशहाली की दुआ की जाती है। जहां तक हिन्दू समुदाय का समाज है तो रामलीला जैसे धार्मिक आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर ही होते रहे हैं। धार्मिक आयोजनों को लेकर विवाद की स्थिति नहीं होनी चाहिए। देखना होगा कि अलीगढ़ के डीएम का आदेश कितना प्रभाव होती है।
एस.पी.मित्तल) (27-07-19)
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