शोपियां में पैसे देकर कश्मीरियों को डोभाल के साथ खड़ा किया-कांग्रेस के गुलाम ने कहा।

शोपियां में पैसे देकर कश्मीरियों को डोभाल के साथ खड़ा किया-कांग्रेस के गुलाम ने कहा। तो क्या कश्मीरी पैसे लेकर पत्थर फेंकते हैं? गुलाम को वामपंथियों को समर्थन मिला। 

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8 अगस्त को अखबारों में एक फोटो प्रकाशित हुआ है। इस फोटो में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के शोपियां में कुछ कश्मीरियों के साथ बिरयानी खाते दिखाया गया है। इस फोटो के पीछे यह दिखाने का प्रयास किया है कि अब आतंकवाद ग्रस्त कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और मौजूदा समय में राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस फोटो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पैसे देकर किसी को भी साथ खड़ा किया जा सकता है। यानि अजीत डोभाल शोपियां में जिन कश्मीरियों के साथ खड़े हैं उन कश्मीरियों को पैसे दिए गए। कांग्रेस के गुलाम का यह बयान कश्मीरियों का तो अपमान है ही साथ ही सवाल उठता है कि क्या पैसे लेकर ही कश्मीरी हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते थे? जब देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार के साथ खड़े होने और बिरयानी खाने के लिए कश्मीरी पैसे ले सकते हैं तो पत्थर फेंकने के लिए क्यों नहीं? असल में कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने और केन्द्र शासित प्रदेश बनने से सबसे ज्यादा नुकसान गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं को हुआ है। अब तक ऐसे नेता कश्मीरियों की भावनाओं को भड़का कर अपनी नेतागिरी चमकाते रहे। चूंकि अब कश्मीर घाटी के हालात भी सामान्य हो रहे हैं, इसलिए गुलाम जैसे नेताओं को मिर्ची लगी हुई है। ऐसे नेता कश्मीर के हालात बिगडऩे के इंतजार में बैठे हैं। उधर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को तो पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। अब यदि कांग्रेस के गुलाम भी कश्मीर में आग लगाने के लिए जाएंगे तो उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा। गिरफ्तार नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि अब जम्मू कश्मीर में भारत के कानून लागू हो गए हैं, इसलिए पहले वाली छूट नहीं मिलेगी। 5 अगस्त की रात से तो जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश बन गया है और इस समय सारी शक्तियां राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास हैं।
गुलाम की सुरक्षा वापस ली जाए :
8 अगस्त को गुलाम नबी आजाद दिल्ली से श्रीनगर के हवाई अड्डे पर पहुंचे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें धारा 144 लागू होने की वजह से श्रीनगर में जाने नहीं दिया। गुलाम को वापस दिल्ली भेजा जा रहा है। असल में गुलाम जैसे नेताओं को जो सुरक्षा मिली हुई है उसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए। सुरक्षा उन नेताओं को दी जाती है जो देश हित में सोचते हैं और देश को ऐसे नेताओं की जरूरत होती है। जब गुलाम नबी का मकसद ही जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाना है तो फिर उन्हें किस बात की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं दी जा रही है?
वामपंथियों का समर्थन :
गुलाम नबी ने कश्मीर के हालातों को लेकर जो बयान दिया है उसका समर्थन सीपीआई के महासचिव डी राजा ने भी किया है। डी राजा का कहना है कि सरकार को जम्मू कश्मीर के हालात तत्काल सुधारने चाहिए। उन्होंने अनुच्छेद 370 में बदलाव का भी विरोध किया। सीपीआई जैसे राजनीतिक दल मानते हैं कि कश्मीर समस्या का समाधान पाकिस्तान के साथ वार्ता कर किया जाना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (08-08-19)
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