कश्मीर पर अमरीका मध्यस्थता नहीं करेगा-राष्ट्रपति ट्रंप।

कश्मीर पर अमरीका मध्यस्थता नहीं करेगा-राष्ट्रपति ट्रंप।
मुस्लिम देश भी समर्थन नहीं दे रहे-पाक विदेश मंत्री।
कश्मीर में 370 में बदलाव पर चीन भी खामोश।
सुप्रीम कोर्ट का भी दखल से इंकार।
अब पाकिस्तान को सिर्फ कांग्रेस का समर्थन।
कश्मीरियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो-राहुल गांधी।
सीमा पर पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देंगे-आर्मी चीफ रावत। 

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13 अगस्त को अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कह दिया है कि अब वे कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता नहीं करेंगे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पहले ही कह चुके हैं कि कश्मीर पर मुस्लिम देशों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। अब हमें यूएन में भी समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है। कश्मीर और पाकिस्तान के लोगों को मूर्खों के स्वर्ग में नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार पाकिस्तान का हमदर्द माने जाने वाला चीन भी खामोश है। यानि कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले और बाद में भारत ने जो कूटनीति अपनाई उसी का परिणम है कि आज पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अलग थलग पड़ा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री का यह बयान भी मायने रखता है कि कश्मीर के मुद्दे पर मुस्लिम देशों का समर्थन भी नहीं मिल रहा है। यानि मुस्लिम देश भी मानते हैं कि अनुच्छेद 370 में बदलाव का मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है। एक ओर जहां कश्मीर पर पाकिस्तान को चीन का भी समर्थन नहीं मिल  रहा, वहीं भारत में कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार पाकिस्तान के साथ खड़े हुए हैं। पाकिस्तान जो भड़काऊ भाषण दे रहा है, वही भाषण और बयान कांग्रेस के नेता लगातार दे रहे हैं। 13 अगस्त को भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की है। इससे पहले दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर, पी चिदम्बरम जैसे कांग्रेसी अमर्यादित टिप्पणी कर चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट का भी दखल से इंकार:
एक एनजीओ चलाने वाले तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कश्मीर के हालातों पर तत्काल दखल देने की मांग की थी। लेकिन 13 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि मौजूदा हालातों में कोर्ट कोई दखल नहीं देगी। कोर्ट याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि हमें सारकार पर भरोसा करना चाहिए। यह बेहद ही संवेदानशील मामला है। कोई सरकार रातों रात हालात नहीं बदल सकती। कोर्ट अब इस मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। सुनवाई के दौरान ही सरकार की ओर से कश्मीर के ताजा हालातों से अवगत कराया गया। सरकार की ओर से कहा गया कि पिछले आठ दिनों में खून की एक बूंद भी नहीं गिरी है और हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं।
स्वतंत्रता सुनिश्चित हो-राहुल:
13 अगस्त को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि कश्मीरियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित होनी चाहिए। असल में 12 अगस्त को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि यदि राहुल गांधी को कश्मीरियों की इतनी ही चिंता है तो मैं सरकारी जहाज भेज कर उन्हें बुला लेता हंू और हालात दिखाता हंू। इस पर राहुल ने ट्वीट किया कि उन्हें सरकारी जहाज की जरूरत नहीं है। लेकिन वे कश्मीरियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना चाहते हैं। इससे पहले राहुल गांधी ने कहा था कि कश्मीर के हालात बेहद खतरनाक हैं।
आर्मी चीफ रावत की चेतावनी:
पाकिस्तान में अब कई नेता जंग की भाषा बोल रहे हैं। इमरान खान की सरकार के कई मंत्री तो चाहते हैं कि भारत पर हमला कर दिया जाए। कुछ पाकिस्तानियों को कश्मीर घाटी में बवाल होने का इंतजार है। ऐसे सभी पाकिस्तानियों को हमारे  आर्मी चीफ बिपिन रावत ने चेतावनी दी है। रावत ने कहा है कि कश्मीर के अंदर ही नहीं बल्कि सीमा पर भी हर स्थिति का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। भारतीय सेना हर हालात से निपटने को तैयार है।
घाटी में सामान्य स्थिति:
कांग्रेस के नेता चाहे कुछ भी बयान दें, लेकिन कश्मीर घाटी में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। अब 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस के जश्न के लिए जगह जगह रिहर्सल हो रहे हैं। श्रीनगर के मैदान पर भी पिछले दो तीन से शिक्षण संस्थानों के बच्चे रिहर्सल कर रहे हैं।
परिसीमन पर चुनाव आयोग की बैठक: 
इसी बीच 13 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ों की अध्यक्षता में जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनावों को लेकर एक बैठक हुई। इस बैठक में जम्मू कश्मीर के निर्वाचन अधिकारी ने विधानसभा क्षेत्रों के पुर्नगठन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। विधानसभा चुनाव से पहले सभी क्षेत्रों का परिसीमन नए सिरे से निर्धारित किया जाएगा। अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद ही परिसीमन का काम संभव हो सका है। अब तक कश्मीर घाटी और जम्मू तथ लद्दाख के साथ भेदभाव हो रहा था। घाटी में जहां कम आबादी पर भी विधानसभा क्षेत्र निर्धारित था वहीं जम्मू और लद्दाख में अधिक आबादी पर भी दो विधानसभा क्षेत्र नहीं बनाए जा रहे थे।
एस.पी.मित्तल) (13-08-19)
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