बीसलपुर बांध के पानी पर पहला हक अजमेर का हो। 

बीसलपुर बांध के पानी पर पहला हक अजमेर का हो।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका।
अब 19 अगस्त को खुलेंगे बांध के गेट।

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18 अगस्त को बीसलपुर बांध का जल स्तर 315.50 मीटर मापा गया। उम्मीद है कि रात 12 बजे तक 315.25 मीटर हो जाएगा। बांध के पानी पर नजर रखने वाले सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि तीन नदियों के संगम त्रिवेणी पर गेज मात्र तीन मीटर का रह गया है। इसलिए बांध में पानी की आवक कम हो रही है। लेकिन अनुमान है कि 19 अगस्त को भराव क्षमता के अनुरूप बांध में 315.50 मीटर पानी आ जाएगा। तभी गेट खोलने का निर्णय होगा। अब जब बीसलपुर बांध भर गया है तब अजमेर के पेयजल का मुद्दा अहमद हो जाता है। 1987 में बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए ही हुआ था, लेकिन बाद में बांध से जयपुर शहर को भी सप्लाई शुरू कर दी। अब हालात इतने खराब है कि अजमेर से दो गुना पानी जयपुर के लिए लिया जा रहा है। राजनीतिक दबाव के चलते जयपुर से सटे दौसा जिले में भी बीसलपुर से सप्लाई शुरू हो गई है। जयपुर को और अधिक पानी देने के लिए मौजूदा कांग्रेस सरकार ने 500 करोड़ रुपए की योजना को स्वीकृति दे दी है। जबकि अजमेर जिले के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अजमेर में दो दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होती है, जबकि बीसलपुर से पानी लेकर जयपुर को रोजाना सप्लाई दी जा रही है। गर्मी के दिनों में जब पानी की किल्लत हुई तो अजमेर में तीन दिन में एक बार सप्लाई कर दी गई, लेकिन जयपुर को रोजाना पानी दिया जाता रहा। जिस बांध का निर्माण ही अजमेर जिले की प्यास बुझाने के लिए हुआ था, वहीं अजमेर अब पानी के लिए तरस रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो 10 दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होतीे है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने बुरे होंगे। एक ओर बांध के भरने पर पानी की निकासी की योजना बनाई जा रही है तो दूसरी ओर अजमेर में अभी भी शहरी क्षेत्रों में तीन दिन में एक बरा पेयजल की सप्लाई हो रही है। जहां तक अजमेर जिले के भाजपा और कांग्रेस के राजनेताओं का सवाल है तो दोनों एक माजने के हैं। भाजपा के गत शासन में जिले के 8 में से 7 विधायक भाजपा के थे, इनमें से चार मंत्री स्तर की सुविधा भोग रहे थे, लेकिन एक भी मंत्री और विधायक ने अजमेर की पेयजल की समस्या को प्रभावी तरीके से नहीं उठाया। असल में भाजपा विधायक और मंत्रियों में इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समक्ष बोल सकें। भाजपा के गत शासन में ही अजमेर के मुकाबले जयपुर को अधिक पानी देने की योजना बनती रही और अजमेर के मंत्री और विधायक चुप रहे। कांग्रेस सरकार ने आते ही जयपुर को प्राथमिकता दी और 500 करोड़ की योजना स्वीकृत कर दी। अजमेर जिले से वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के दो विधायक हैं। इनमें से केकड़ी के विधायक रघु शर्मा का सरकार में दबदबा भी है। रघु शर्मा चाहें तो बीसलपुर बांध के पानी पर अजमेर को प्राथमिकता दिलवा सकते हैं। यह बात अलग है कि रघु शर्मा का स्थायी आवास जयपुर में ही है। सवाल उठता है कि जब बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर को रोजाना सप्लाई किया जा सकता है तब अजमेर को क्यों नहीं? जाहिर है कि अजमेर राजनीतिक नेतृत्व कमजोर रहता है। यहां के विधायक सिर्फ सरकारी वाहनों में घूमना ही अपनी उपलब्धि समझते हैं।

एस.पी.मित्तल) (18-08-19)
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