टाटा पावर की दादागिरी से अजमेर के मोबाइल उपभोक्ता भी परेशान।

टाटा पावर की दादागिरी से अजमेर के मोबाइल उपभोक्ता भी परेशान।
पुलिस और प्रशासन से भी नहीं डरते कंपनी के अफसर।
डिस्कॉम तो लाचार है। 

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टाटा पावर कंपनी के विद्युत वितरण की व्यवस्था संभालने के बाद अजमेर शहर के बिजली उपभोक्ता पहले से ही परेशान थे और मोबाइल उपभोक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसे टाटा पावर की दादागिरी ही कहा जाएगा कि जियो ने जो ऑप्टिल फाइबर केबल बिजली के खंबों पर डाली थी, उसे टाटा पावन ने काट कर खंबों से उतार दिया। इससे शहर के जियो मोबाइल उपभोक्ता परेशान है। टाटा पावर ने केबल काटने से पहले उपभोक्ताओं के हितों का कोई ख्याल नहीं रखा। टाटा पावर के सीईओ गजानन काले का कहना है कि बिजली के खंबों के उपयोग का शुल्क जियो नहीं दे रहा है। चूंकि खंबों का रख रखाव अब टाटा पावर कर रहा है, इसलिए शुल्क हम वसूलेंगे। खंबों से केबल हटाने के कृत्य को काले ने जायज बताया। वहीं जियो का कहना है कि खंबों के उपयोग से पहले दो करोड़ 68 लाख रुपए की राशि अजमेर विद्युत वितरण निगम में जमा कवाई गई थी। खंबों के उपयोग से पहले निगम के साथ अनुबंध भी हुआ। ऐसे में निगम की फे्रंचाइजी टाटा पावर को केबल काटने का कोई अधिकार नहीं है। जियो की ओर से इस संबंध में पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई है।
टाटा पावर का अपराधी कृत्य:
अजमेर विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक बीएस भाटी ने जियो की केबल काटने को टाटा पावर का अपराधी कृत्य माना है। भाटी का कहना है कि निगम ने टाटा पावर को अपना सिस्टम उपयोग करने के लिए दिया है। निगम की सम्पत्तियों पर टाटा पावर मालिकाना हक नहीं जता सकता। जब जियो ने निगम में शुल्क जमा करा दिया है तो टाटा पावर को केबल काटने या उतारने का कोई अधिकारी नहीं है। यदि टाटा पावर को अपने हितों के लिए कोई शिकायत थी तो उसे निगम से संवाद करना चाहिए। टाटा पावर के कृत्य को लेकर उच्च स्तरीय विचर विमर्श हो रहा है। आवश्यकता होने पर कंपनी के खिलाफ जुर्माना निर्धारित किया जाएगा। भाटी ने माना कि टाटा पावर को मनमर्जी करने की छूट नहीं दी जा सकती है।
प्रशासन और पुलिस से भी नहीं डरते:
चूंकि टाटा पावर निजी क्षेत्र की कंपनी है इसलिए उसे प्रशासनिक अधिकारियों को खुश करने के तौर तरीके आते हैं। कंपनी के एक अधिकारी को जिला एवं पुलिस प्रशासन के अफसरों के दफ्तरों तथा घर पर मिजाजपुर्सी करते देखा गया है। चूंकि बड़े अफसर खुश हैं, इसलिए टाटा पावर अजमेर शहर में दादागिरी पर उतर आई है। हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि आपराधिक कृत्य करने से भी डर नहीं लगता है। चूंकि टाटा पावर के अधिकारी अब जिला स्तरीय स्तर पर सम्मानित भी होने लगे हैं। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी जेब में समझते हैं। सवाल उठता है कि जो कंपनी पैसा वसूल कर बिजली दे रही है उसके अधिकारी कौन सी समाज सेवा कर रहे हैं? जब जियो जैसे संस्था की केबल काटी जा रही है तो आम बिजली उपभोक्ता के साथ सलूक का अंदाजा लगाया जा सकता है। बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण नहीं हो रहा है। ओवर बिलिंग से आम उपभोक्ता परेशान है।
एस.पी.मित्तल) (01-09-19)
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