तो राजस्थान की राजनीति पर सीएम अशोक गहलोत करेंगे सोनिया गांधी से फाइनल बात।

तो राजस्थान की राजनीति पर सीएम अशोक गहलोत करेंगे सोनिया गांधी से फाइनल बात।
सचिन पायलट भी आर-पार के मूड में। 

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29 सितम्बर को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत दिल्ली में रहे। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात करने के लिए 28 सितम्बर को ही दिल्ली पहुंच गए थे। हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी 28 सितम्बर से दिल्ली में ही है, लेकिन 29 सितम्बर को दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के मोती बाग स्थित आवास पर सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे के बीच जो राजनीतिक मंत्रणा हुई उसमें पायलट शामिल नहीं हुए। सूत्रों की माने तो इस मंत्रणा में भी पायलट को भी शामिल होना था, ताकि सोनिया गांधी से मुलाकात के समय एकराय हो सके। राजस्थान की कांग्रेस की राजनीतिक सरकार के गठन के बाद से ही खींचतान चल रही है। सूत्रों के अनुसार अब रोजरोज की किच-किच बाजी से सीएम गहलोत भी दुखी हो चुके हैं। इसलिए अब सोनिया गांधी से फाइनल बात कर रहे हैं। गहलोत के साथ प्रदेश प्रभारी महासचिव पांडे भी हैं। जो सकता है कि प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल हो जाए। सरकार चलाने में संगठन का भरपूर सहयोग चाहिए। लेकिन अशोक गहलोत को अपेक्षित सहयोग भी नहीं मिल रहा है। इसका सबसे बड़ा और ताजा उदाहरण बसपा के छह विधायकों को अभी तक भी कांग्रेस की सदस्यता नहीं मिलना है। सरकार और संगठन में इससे ज्यादा और क्या खींचतान हो सकती है कि बसपा के छह विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कांग्रेस का विधायक स्वीकार कर लिया, लेकिन इन विधायकों ने अभी तक भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण नहीं की है। सब जानते हैं कि किन मुसीबतों से सीएम गहलोत ने बसपा के सभी छह विधायकों का समर्थन हासिल किया, लेकिन अब सदस्यता में ही रोड़े अटकाएं जा रहे हैं। बसपा विधायकों को मंत्री पद आदि देकर संतुष्ट करना है, लेकिन फिलहाल मामला सदस्यता पर ही अटक गया है। सोनिया गांधी से होने वाली मुलाकात में गहलोत और पांडे मंत्रिमंडल विस्तार पर निर्णय भी करवाएंगे। इस मुलाकात में सचिन पायलट के ताजा बयानों से ही भी सोनिया गांधी को अवगत कराया जाएगा।
क्रिकेट की राजनीति के माध्यम से भी सीएम को चुनौती:
सीएम गहलोत को अब क्रिकेट की राजनीति से भी चुनौती दिलवाई जा रही है। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी चाहते हैं कि सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया जाए। इसके लिए लगातार प्रयास जारी हैं। लेकिन सचिन पायलट के समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी ने एसोसिएशन के अध्यक्ष का चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। यानि अब क्रिकेट की राजनीति में कांग्रेस के ही दो गुट हो गए हैं। एक गुट का नेतृत्व सीपी जोशी कर रहे हैं, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व रामेश्वर डूडी। घमासान इतना है कि जोशी और डूडी गुट ने अलग अलग मतदाता सूची जारी की है। चुनाव अधिकारी आरआर रश्मि लगातार प्रयास में है कि शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो जाए। लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। डूडी ने सत्ता के दुरुपयोग की आशंका जताई है। असल में राजस्थान में सत्ता और संगठन में जो खींचतान चल रही है उसी से क्रिकेट की राजनीति भी प्रभावित हो रही है। इस बीच सरकार की ओर से डूडी को मानने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन डूडी पर संगठन का इतना दबाव है कि वे फिलहाल सरकार के लालच में नहीं आ रहे हैं।
पायलट भी आरपार के मूड में:
पायलट के समर्थकों का शुरू से ही मानना है कि मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी पर अशोक गहलोत बैठे, उस पर सचिन पायलट का अधिकार था, क्योंकि भाजपा के पिछले पांच वर्ष के शासन में पायलट के नेतृत्व में ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया। पायलट की वजह से ही विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला। लेकिन अब सरकार में पायलट और कार्यकर्ताओं का अपेक्षित सम्मान नहीं हो रहा है। पायलट ने सार्वजनिक तौर पर कहा भी है कि जिन कार्यकर्ताओं ने पांच वर्ष खून पसीना बहाया अब उन्हें लाभ मिलना चाहिए। सरकार में सम्मान के पहले हकदार कार्यकर्ता ही है। पायलट ने साफ कहा कि बसपा के छह विधायक मंत्री बनने के लिए कांग्रेस में नहीं आए हैं। इन विधायकों ने बिना शर्त समर्थन दिया है। हालांकि पायलट के इस बयान पर सीएम गहलोत ने अभी तक भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन सब जानते हैं कि बसपा के विधायकों को कांग्रेस के समर्थन में लाने के लिए सीएम गहलोत ने कई वायदे किए हैं। गहलोत के आश्वासन पर ही बसपा के सभी विधायक कांगे्रस में आए हैं। पायलट ने जिस तरह से कार्यकर्ताओं को आगे रखकर अपनी बात कही है उससे साफ प्रतीत होता है कि इस बार पायलट भी आरपार के मूड में हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-09-19)
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