चित्तौड़ के चंदेरिया के एमपी बिरला सीमेंट प्लांट का बॉयलर फटने से 15 श्रमिक झुलसे।

चित्तौड़ के चंदेरिया के एमपी बिरला सीमेंट प्लांट का बॉयलर फटने से 15 श्रमिक झुलसे। कारखाना निरीक्षक और प्लांट के अधिकारियों की अनदेखी। प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर। 

============
30 सितम्बर को राजस्थान के चित्तौड़ जिले के चंदेरिया उपखंड में स्थापित एमपी बिरला सीमेंट प्लांट में बड़ा हादसा हुआ। प्लांट का बॉयलर फटने से 15 श्रमिक झुलस गए। चित्तौड़ के कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बताया कि बुरी तरह झुलसे 11 श्रमिकों को बेहतर इलाज के लिए उदयपुर के सरकारी अस्पताल में रैफर के लिए उदयपुर के सरकारी अस्पताल रैफर कर दिया गया है। हादसे की जांच अतिरिक्त कलेक्टर करेंगे। असल में हादसा होने के बाद प्रशासन जागरुकता दिखाता है। इससे पहले पूरा सरकारी अमला ऐसी औद्योगिक इकाइयों के प्रबंधकों से अपने स्वार्थ पूरा करता है। कुछ अधिकारी प्लांट के गेस्ट हाउसों में मौज मस्ती करते हैं तो कुछ प्रतिमाह उपहार आदि ले लेते हैं। ऐसा नहीं कि सरकारी की ओर से प्लांट चलाने के लिए नियम नहीं हैं। प्लांट के प्रबंधकों को प्रति वर्ष सुरक्षा का सर्टीफिकेट लेना होता है। यह सर्टीफिकेट क्षेत्र के कारखाना निरीक्षक के द्वारा जारी किया जाता है। सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए डिग्रीधारी व्यक्तियों को सुरक्षा जांच का अधिकार दे दिया। डिग्रीधारी व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पर ही कारखाना निरीक्षक सर्टीफिकेट जारी करता है। कायदे से डिग्रीधारी की जांच रिपोर्ट के बाद निरीक्षक को सर्टीफिकेट जारी कर देना चाहिए, लेकिन अधिकांश कारखाना निरीक्षक ऐसा नहीं करते हैं। जबकि डिग्रीधारी व्यक्ति सरकार के नियमों के तहत जांच पड़ताल करता है। लेकिन कारखाना निरीक्षकों का प्लांट प्रबंधकों पर दबाव होता है कि संबंधित डिग्रीधारी को ही जांच पड़ताल के लिए बुलाया जाए। ऐसा इसलिए किया जाता है कि संबंधित डिग्रीधारी अपनी फीस में से मोटी राशि कारखाना निरीक्षक को दे देता है। चूंकि इसमें भी भ्रष्टाचार करने का रास्ता निकल लिया गया है, इसलिए जांच में अनदेखी की जाती है। जिस डिग्रीधारी की सिफारिश कारखाना निरीक्षक करता है उस डिग्रीधारी की जांच रिपोर्ट को देखे बगैर ही सर्टीफिकेट जारी कर दिया जाता है। चूंकि प्लांट के प्रबंधकों को भी सिर्फ सर्टीफिकेट चाहिए, इसलिए कारखाना निरीक्षक के सभी दबाव माने जाते हैं। ऐसे में डिग्रीधारी की सारी योग्यता धरी रह जाती है। यदि कारखाना निरीक्षक सिफारिश नहीं करेगा, तो प्लंाट प्रबंधक पात्र डिग्रीधारी को नहीं बुलाएंगे। यानि डिग्रीधारी सर्वेयर को भी कारखाना निरीक्षक की ही मिजाजपुर्सी करने होती है। एमपी बिरला सीमेंट प्लांट के ताजा हादसे में डिग्रीधारी सर्वेयर और कारखाना निरीक्षक की मिली भगत की भी जांच होनी चाहिए। प्लांट में सुरक्षा उपायों की अनदेखी की वजह से 15 श्रमिक झुलसे हैं।
प्लांट अफसरों के खिलाफ एफआईआर:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कलेक्टर देवड़ा को पूरे मामले में सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही एमपी बिरला सीमेंट प्लांट के एचआर हैड एसएन साहू, लोकेश हैड राजेश कक्कड़, संजय सेठी आदि के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है।
एस.पी.मित्तल) (30-09-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...