तो क्या राजस्थान में प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के तेवर भी बागी है?

तो क्या राजस्थान में प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के तेवर भी बागी है?
क्रिकेट की सियासत में पायलट की सहानुभूति रामेश्वर डूडी के साथ।
किरोड़ी मीणा समर्थकों ने लगाए पायलट जिंदाबाद के नारे। 

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4 अक्टूबर को मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे संयज निरुपम ने कहा कि अब राहुल गांधी के खिलाफ साजिश हो रही है। राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष रहते राज्यों में जिन नेताओं को आगे बढ़ाया, अब उनको प्रभावहीन किया जा रहा है। यही वजह है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुम्बई में कांग्रेस की जमानत जब्त होगी। मेरे इस बयान पर यदि पार्टी उन्हें बाहर निकालना चाहे तो निकाल दें। अब वे चुनाव में कांग्रेस का प्रचार भी नहीं करेंगे। 3 अक्टूबर को ही हरियाणा में भी कांग्रेस में घमासान देखा गया। प्रदेशाध्यक्ष पद पर रहे अशोक तंवर ने अपने समर्थकों के साथ दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकिट बेचने के आरोप लगाए। तंवर ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। महाराष्ट्र की तरह हरियाणा में भी 21 अक्टूबर को मतदान होना है। सब जानते हैं कि राहुल गांधी जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब मुम्बई में संजय निरुपम और हरियाणा में अशोक तंवर को अध्यक्ष बनाया था। राजस्थान में सचिन पायलट को आगे बढ़ाने में भी राहुल गांधी का सहयोग रहा। लेकिन अब सोनिया गांधी के कार्यकाल में पायलट भी स्वयं को उपेक्षित समझ रहे हैं। अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के काम काज पर पायलट प्रतिकूल टिप्पणी कर चुके हैं। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में कांग्रेस में भी जो घमासान मचा हुआ है उसमें भी पायलट की सहानुभूति रामेश्वर डूडी के साथ है। डूडी ने सीएम अशोक गहलोत को धृतराष्ट्र बताया है। डूडी का आरोप है कि अपने पुत्र वैभव गहलोत को आरसीए का अध्यक्ष बनवाने के लिए सीएम गहलोत ने सत्ता का जमकर दुरुपयोग किया है। अनेक मंत्रियों, आईएएस अफसरों आदि ने खुल कर वैभव को जीताने का काम किया। डूडी का कहना रहा कि अब जनता जवाब देगी। राजस्थान में भी 21 अक्टूबर को ही खींवसर और मंडावा के उपचुनाव होने हैं। ऐसे में पायलट ने माना कि मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी के आपसी विवाद की वजह से कांग्रेस की छवि खराब हो रही है। अच्छा होता कि वैभव और डूडी आपस में बैठकर विवाद का हल निकालते। पायलट ने 3 अक्टूबर को आरसीए के बाहर डूडी समर्थकों पर लाठीचार्ज किए जाने की निंदा भी की। यानि पायलट ने उन रामेश्वर डूडी की तरफदारी की है, जिन्होंने सीएम गहलोत को धृतराष्ट्र बताया। सवाल उठता है कि जब पायलट प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम दोनों की कुर्सी पर बैठे हैं, तब पायलट ने ही वैभव गहलोत और रामेश्वर डूडी की बीच समन्वय स्थापित क्यों नहीं किया? सब जानते हैं कि डूडी अब पायलट के समर्थक हैं। आरसीए के घमासान पिछले दो माह से चल रहा है। तभी से डूडी ने सीएम के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यदि पायलट को कांग्रेस की छवि की इतनी ही चिंता थी तो वैभव और डूडी को एक जाजम पर क्यों नहीं बैठाया? पहले तो डूडी की गतिविधियों को हवा दी और अब पार्टी की छवि की चिंता दिखाई जा रही है। कांग्रेस की राजनीति में पायलट का जो प्रभाव है उसमें यदि पायलट समझौते का प्रयास करवाते तो सफलता जरूर मिलती। अभी भी पायलट की सहानुभूति डूडी के साथ है। असल में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी पायलट के समर्थक स्वयं को उपेक्षित समझ रहे हैं।
पायलट जिंदाबाद के नारे:
राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। विधानसभा चुनाव में रामेश्वर डूडी, सचिन पायलट के खिलाफ थे और अब पायलट के साथ हैं। 4 अक्टूबर को भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने जयपुर में पायलट से मुलाकात की। इस मुलाकात में एईएन भर्ती से जुड़ी समस्या पर विचार हुआ। मीणा के एईएन भर्ती के अभ्यर्थी भी थे। मीणा का कहना रहा कि एईएन भर्ती की परीक्षा तिथि को आगे बढ़वाने के लिए पायलट से फोन पर बात की थी तो पायलट ने वार्ता करने के लिए बुला लिया। वार्ता से संतुष्टि दिखाते हुए अभ्यर्थियों ने पायलट के आवास पर जिंदाबाद के नारे लगाए। भाजपा सांसद के साथ आए लोगों द्वारा जिंदाबाद के नारे सुनकर सचिन पायलट मुस्कुराए बिना नहीं रह सके।
एस.पी.मित्तल) (04-10-19)
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