कांग्रेस के शासन में भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष प्रो. सारस्वत बने एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के डीन

कांग्रेस के शासन में भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष प्रो. सारस्वत बने एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के डीन। अन्य संकायों में भी कब्जा। वहीं रुक्टा के प्रतिनिधि अग्रवाल ने चयन प्रक्रिया को नियमों के विरुद्ध बताया। 

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11 अक्टूबर को अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के विभिन्न संकायों के डीन के चयन को लेकर भाजपा और कांग्रेस की विचारधारा वाले शिक्षकों में जोरदार खींचतान हुई। चूंकि यूनिवर्सिटी में भाजपा की विचारधारा वाले शिक्षकों का बहुमत है, इसलिए अधिकांश संकायों के डीन भाजपा के पदाधिकारी ही बने हैं। सबसे रोचक मुकाबला वाणिज्य संकाय के डीन को लेकर हुआ। भाजपा के अजमेर देहात जिलाध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत और कांग्रेस की ओर से सम्राट पृथ्वीराज चौहान गर्वमेंट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मुन्नालाल अग्रवाल ने दावा प्रस्तुत कर दिया। लम्बी जद्दोजहद के बाद यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने वोटिंग कराने का निर्णय दिया। कुल 15 मतों में से 13 वोट प्रो. सारस्वत को मिले, जबकि मात्र 2 वोट अग्रवाल के खाते में आए। ऐसे में प्रो. सारस्वत का चयन वाणिज्य संकाय के डीन के तौर पर हुआ। इसी प्रकार साइंस संकाय के डीन प्रो. सुब्रतोदत्ता बने हैं। दत्ता को 12 तथा प्रतिद्वंदी प्रो. निरज भार्गव को मात्र 3 वोट मिले। पीजी डीन के लिए हुई वोटिंग में यूनिवर्सिटी के प्रो. भारती जैन को 11 जबकि प्रतिद्वंदी प्रो. शिवप्रसाद को मात्र 4 वोट मिले। कॉलेज डीन के पद पर यूनिवर्सिटी के प्रो. शिवप्रसाद, एज्युकेशन डीन के पद पर रीजनल कॉलेज के प्रो. नगेन्द्र सिंह, लॉ डीन के लिए गर्वमेंट लॉ कॉलेज की डॉ. विभा शर्मा, आट्र्स डीन के लिए डॉली दलेला, फाइन आर्ट डीन के लिए एमएलवी कॉलेज भीलवाड़ा की डॉ. गीतांजलि वर्मा व मैनेजमेंट डीन के लिए यूनिवर्सिटी के प्रो. मनोज कुमार का निर्विरोध चयन हुआ। यह प्रक्रिया कुलपति प्रो. आरपी सिंह और कुल सचिव संजय माथुर की मौजूदगी में हुई।
चयन प्रक्रिया नियमों के विरुद्ध-डॉ. अग्रवाल:
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रतिनिधि और अजमेर के गर्वमेंट कॉलेज के प्राचार्य मुन्नालाल अग्रवाल ने आरोप लगाया कि एमडीएस यूनविर्सिटी में डीन के चयन की प्रक्रिया नियमों के विरुद्ध अपनाई गई है। इस प्रक्रिया से पहले यूनिवर्सिटी के कुलपति से आग्रह किया गया था कि वे प्रक्रिया को स्थगित कर दें, क्योंकि यूनिवर्सिटी में अन्य यूनिवर्सिटी और सरकार के प्रतिनिधियों के पद रिक्त हैं। ऐसे में चुनाव करवाना बेमानी है। लेकिन इसके बावजूद भी चयन की प्रक्रिया की गई। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अब पूरी प्रक्रिया को राज्य सरकार के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी के कई प्रोफेसर के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं, जिन पर भी राज्य सरकार से कार्यवाही करवाई जाएगी। अग्रवाल ने कहा कि जब राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया है तब ऐसी चयन प्रक्रिया से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य संकाय के डीन प्रो. सारस्वत मात्र पांच माह बाद रिटायर होने वाले हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सिटी में कार्यरत शिक्षकों को दलगत राजनीति करने की पूरी छूट मिली हुई है।
एस.पी.मित्तल) (11-10-19)
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