काश! सुन्नी वक्फ बोर्ड राम जन्म भूमि पर से अपना दावा छोड़े दे।

काश! सुन्नी वक्फ बोर्ड राम जन्म भूमि पर से अपना दावा छोड़े दे।
सुप्रीम कोर्ट में बहस पूरी। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन द्वारा जन्म स्थान का नक्शा फाडऩा अशोभनीय।

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16 अक्टूबर को अयोध्या के रामजन्म भूमि प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का अंतिम दिन रहा। सीजेआई रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि अब इस प्रकरण पर कोई बहस बाजी नहीं होगी। ज्यादा से ज्यादा कोई पक्षकार अपना लिखित प्रतिवेदन दे सकता है। जस्टिस गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि 15 नवम्बर तक फैसला आ जाएगा। मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए तो मध्यस्थता कमेटी ने 16 अक्टूबर को ही अपनी जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड का एक हलफनामा में रामजन्म भूमि में से अपना हक छोडऩे की बात कही गई है। यदि यह खबर सही है तो फिर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया था, उसमें तीनों पक्षकारों को विवादित भूमि बराबर बांटने की बात कही थी। यानि सुन्नी वक्फ बोर्ड को 2.77 एकड़ भूमि मिलेंगी, शेष दो भाग रामलला विराजान और निर्मोही अखाड़े को देने की बात कही गई। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले से तीनों ही पक्षकार सहमत नहीं हुए। हिन्दू पक्षकार रामजन्म भूमि का एक भाग मुस्लिम पक्ष को देने को तैयार नहीं था। हिन्दू पक्ष का कहना रहा कि जन्म भूमि पर मस्जिद भी बनती है तो हिन्दू मुसलमानों में विवाद बना रहेगा, लेकिन अब कहा जा रहा है कि मध्यस्थता कमेटी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के बाद लम्बी मंत्रणा की। इस मामले मध्यस्थता कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस करीफुल्ला, सदस्य श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन तीनों ने ही सुन्नी वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों से संवाद किया और यह समझाने की कोशिश की कि सद्भावना के माहौल को बढ़ाने के लिए अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए सम्पूर्ण भूमि दे दी जाए। इस समझाइश के बाद ही कुछ शर्तों पर सहमति बनी है। सुन्नी वक्फ के इस रुख से सुप्रीम कोर्ट को भी फैसला देने में मदद मिलेगी। अब चूंकि रामजन्म भूमि पर मुस्लिम पक्ष का कोई नहीं रहेगा, इसलिए मंदिर निर्माण का रास्त साफ हो जाएगा। हालांकि इस प्रकरण में अन्य मुस्लिम और हिन्दू पक्षकार भी हैं, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन पक्षकारों को ही महत्वपूर्ण माना। सुप्रीम कोर्ट ने भी इन तीनों पक्षकारों को प्रमुखता देते हुए पक्ष रखने का अवसर दिया।
नक्शा फाडऩा अशोभनीय :
सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा के वकील विवेक शर्मा ने जब विवादित भूति पर मंदिर निर्माण से संबंधित एक नक्शा पेश किया तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट में ही नक्शे को फाड़ दिया। इस पर हिन्दू महासभा के वकील ने कड़ा ऐतराज जताया। वकील का कहना रहा कि हमारे धर्म से जुड़े किसी दस्तावेज को इस तरह फाड़ा नहीं जा सकता है। वकील राजीव धवन के इस कृत्य पर सीजेआई रंजन गोगोई ने भी नाराजगी प्रकट की।
यूपी में सरकारी कार्मिकों की छुट्टियां रदद्:
दीपावली पर्व और अयोध्या मुद्दे पर आने वाले फैसले को ध्यान मेंरखते हुए यूपी सरकार ने पुलिस एवं प्रशासन सके अधिकारियों की छुट्टियां तीस नवम्बर तक रद्द कर दी है। अयोध्या में धारा 144 पहले ही लगाई जा चुकी है। इस बीच देश भर में उत्साह और उमंग का माहौल बना हुआ है।
एस.पी.मित्तल) (16-10-19)
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