ख्वाजा साहब के सूफीवाद के संदेश से कश्मीर में हो सकता है अमन चैन।

ख्वाजा साहब के सूफीवाद के संदेश से कश्मीर में हो सकता है अमन चैन।
अजमेर में सूफी सज्जादानशीन परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक। 

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30 अक्टूबर को अजमेर में ग्रेंड जीनिया होटल में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक परिषद के अध्यक्ष और ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान के उत्तराधिकारी सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती की अध्यक्षता में हुई। परिषद के पदाधिकारियों ने हाल में कश्मीर का दौरा कर हालातों का जायजा लिया। बैठक में कश्मीर के दौरे तथा वहां अमन चैन के लिए किए जाने वाले उपायों पर विचार विमर्श हुआ। देश भर की प्रमुख दरगाहों के धर्मगुरुओं ने बैठक में माना कि कश्मीर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सूफीवाद से ही अमन चैन कायम हो सकता है। इसके लिए सरकार को कश्मीर में सूफीवाद का प्रचार प्रसार करना चाहिए। वैसे भी कश्मीर में सूफीवाद का बहुत महत्व रहा है, लेकिन कुछ कट्टरपंथी विचारधारा की वजह से सूफीवाद कमजोर पड़ गया। बैठक में कहा गया कि कश्मीर में सूफीवाद का महत्व बताने के लिए सज्जादानशीन परिषद खास भूमिका निभा सकती है। बैठक में कश्मीर दौरे पर भी विचार हुआ। माना गया कि कश्मीर के कुछ जिलों में भय और आतंक के कारण बंद हैं। सरकार ने कोई पाबंदी नहीं लगा रखी है। बैठक के बाद परिषद के अध्यक्ष सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने बताया कि  एक रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी जा रही है। इस रिपोर्ट में कश्मीर के लोगों की समस्याओं का भी उल्लेख है। सरकार से आग्रह किया गया है कि केन्द्र शासित प्रदेश की व्यवस्था में कश्मीरियों की पहचान बनी रहनी चाहिए। कश्मीर युवाओं को नौकरी मिले ताकि उनका भरोसा शासन पर हो सके। आदिवासियों की जमीन पर उनका स्वामित्व होना चाहिए। चूंकि कश्मीर में आयकर का मुख्य स्रोत पर्यटक उद्योग ही है इसलिए सरकार को कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक योजनाएं लागू करनी चाहिए। इसके लिए कश्मीर के युवाओं को भी आर्थिक मदद करनी चाहिए ताकि वे पर्यटन उद्योग में अपना सहयोग दे सकें। चिश्ती ने कहा कि कश्मीर का दौरान और आज की बैठक में ख्वाजा साहब की दरगाह के सज्जादानशीन और दीवान जैनुल आबेदीन का मार्ग दर्शन रहा है। बैठक में दीवान आबेदीन भी उपस्थित रहे। दीवान आबेदीन का भी कहना रहा कि आतंकियों की वजह से इस्लाम बदनाम हो रहा है। इस्लाम में हिंसा की कोई गुंजाइश नहीं है, लेकिन फिर भी आतंकवादी अपने स्वार्थों की खातिर हत्या कर रहे हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए ताकि कश्मीर में आतंकियों को बढ़ावा नहीं मिले।
एस.पी.मित्तल) (30-10-19)
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