आखिर राजस्थान में स्टेट हाईवे पर टोल वसूली का फैसला किसने लिया है?

आखिर राजस्थान में स्टेट हाईवे पर टोल वसूली का फैसला किसने लिया है?
क्या इससे निकाय और पंचायती राज चुनावों में कांग्रेस सरकार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा?

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31 अक्टूबर को प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में प्रथम पृष्ठ पर लीड खबर छपी है कि अब राजस्थान में स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों पर फिर से टोल टैक्स की वसूली होगी। खबरों में बताया गया कि यह निर्णय सर्कूलेशन पद्धति से मंत्रिमंडल में हुआ है। लेकिन इस महत्वपूर्ण खबर की अधिकृत जानकारी देना वाला कोई नहीं है। भले ही यह फैसला सरकार का हो, लेकिन कोई मंत्री या बड़ा अधिकारी तो जानकारी देने वाला होना चाहिए। एक अखबार ने तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विरोध वाला बयान भी छाप दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि टोल वसूली की जानकारी किसने दी है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फैसला भी कांग्रेस सरकार के सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के आपसी मतभेदों का नतीजा है। इसलिए महत्वपूर्ण फैसलों की खबरें यूं ही छप रही हैं। क्या इतने बड़े और महत्वपूर्ण फैसले की जानकारी सरकार के किसी मंत्री को नहीं देनी चाहिए थी? आखिर टोल की वसूली प्रदेश की जनता से ही होगी। क्या टोल टैक्स देने वाली जनता को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि वसूली का फैसला किस स्तर पर और क्यों लिया गया है? देखा जाए तो टोल वसूली का फैसला प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सरकार में डिप्टी सीएम की हैसियत से पीडब्ल्यूडी विभाग का प्रचार संभाल रहे सचिन पायलट की सहमति से हुआ है। प्रदेश के सभी स्टेट हाइवे पीडब्ल्यूडी के अधीन आते हैं, लेकिन बरसात के बाद स्टेट हाइवे पर मरंमत का कोई कार्य नहीं हुआ। सूत्रों की माने तो पीडब्ल्यूडी के पास फंड ही नहीं है। सचिन पायलट के अधीन वाले पीडब्ल्यूडी विभाग ने फंड के लिए मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव भेजा हैं, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में स्टेट हाइवे पर टोल वसूली का फैसला किया गया। स्वाभाविक है कि इस फैसले से पहले पीडब्ल्यूडी के मंत्री सचिन पायलट की सहमति ली गई होगी। चूंकि यह महत्वपूर्ण फैसला सीएम और डिप्टी सीएम के बीच उलझा हुआ है, इसलिए अधिकृत जानकारी के बगैर ही खबरें छपवाई गई हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि निकाय प्रमुख के चुनाव में हाईब्रिड फैसला लागू करने का पायलट ने खुला विरोध किया था। पायलट के विरोध के चलते ही सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा। इस बार भी टोल टैक्स की वसूली का फैसला तब हुआ है, जब प्रदेश के 49 निकायों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा दिसम्बर में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होने हैं। अब देखना होगा कि टोल वसूली का फैसला इन चुनावों में कांग्रेस पर कितना असर डालते हैं। मालूम हो कि गत विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने निजी वाहनों से टोल वसूली पर छूट दे दी थी। सरकार को निजी वाहनों से सालाना 300 करोड़ रुपए की आय होती है। यानि कांग्रेस सरकार ने सालाना 300 करोड़ रुपए की आय का फैसला लिया है।
एस.पी.मित्तल) (31-10-19)
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