अब भजपा को महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की सरकार बनने देना चाहिए।

अब भजपा को महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की सरकार बनने देना चाहिए। कांग्रेस तो पहले भी शिवसेना का सहयोग ले चुकी है। ऐसे गठबंधन पर बागी कांग्रेसी संजय निरुपम की सटीक टिप्पणी।

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एक नवम्बर को भी महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने में विफल रही है। अब शिवसेना का दावा है कि वह एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना लेगी। सब जानते हैं कि भाजपा और शिवसेना को पूर्ण बहुमत मिला है, लेकिन सत्ता के बंटवारे को लेकर दोनों आमने-सामने हो गए हैं। शिवसेना चाहती है कि दूध में जमी मोटी मलाई हासिल कर ले, लेकिन भाजपा बगैर मलाई वाले दूध से संतुष्ट नहीं है। यदि मलाई का झगड़ नहीं होता तो अब तक गठबंधन की सरकार बन जाती। शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी मिल कर भी सरकार बना सकते हैं। कांग्रेस के नेता तो महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने में इतने उतावले हैं कि पुरानी दोस्ती को याद दिला रहे हैं। कांग्रेसियों का कहना है कि आपातकाल में शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का खुला समर्थन किया था। इसी प्रकार जब कांग्रेस ने श्रीमती प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया तब शिवसेना ने भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया। कांग्रेस पूर्व में शिवसेना का समर्थन ले सकती है तो फिर महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर सरकार क्यों नहीं बना सकती? भले ही महाराष्ट्र में शिवसेना का जन्म कांग्रेस के विरोध से हुआ हो, लेकिन अब कांग्रेस के नेता शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए उतावले हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं के इस उतावले पर कांग्रेस के बागी नेता और राहुल गांधी के राज में मुम्बई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे संजय निरुपम ने कहा है कि कांग्रेस को भाजपा और शिवसेना के ड्रामे में नहीं उलझना चाहिए। वैसे भी चुनाव में कांग्रेस के वोटों की संख्या बहुत कम हो गई है। यदि शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई तो अगले चुनाव में इतने वोट भी नहीं मिलेंगे। संजय निरुपम के इशारे को कांग्रेस के नेता समझते हैं या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अब भाजपा को सरकार बनाने की होड़ से बचना चाहिए। यदि महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के विधायक एनसीपी के सहयोग से सरकार बनाते हैं तो यह देश की राजनीति में एक शुरुआत होगी। हो सकता है कि कभी किसी राज्य में कांग्रेस, भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लें। जब शिवसेना के साथ सरकार बनाई जा सकती है तो फिर भाजपा के साथ तो ज्यादा आसानी है। यदि कांग्रेस शिवसेना की सरकार बनती है तो राजनीति में इसके दूरगामी परिणाम होंगे, जो देश की एकता और अखंडता के लिए सहायक होंगे। हो सकता है कि आगे चल कर इसका फायदा भाजपा को मिले क्योंकि जिन मुद्दों पर कांग्रेस अभी भाजपा की आलोचना करती है, वह आलोचना शिवसेना के साथ सरकार बनाने के बाद नहीं की जा सकती। कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना को भी महाराष्ट्र में अपनी स्थिति का अंदाजा हो जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (01-11-19)
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