तो अशोक गहलोत अब महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना की सरकार बनवाने में लागू करवा रहे हैं हाईब्रिड फार्मूला।

तो अशोक गहलोत अब महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना की सरकार बनवाने में लागू करवा रहे हैं हाईब्रिड फार्मूला।  कांग्रेस के विधायक जयपुर से दिल्ली पहुंचे। 

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ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद नेता अशोक गहलोत को राजनीति में हाईब्रिड का फार्मूला लागू करने की जिद हो गई है। हालांकि यह जिद कांग्रेस के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसका असल मकसद भाजपा को सत्ता से बाहर रखना है। सब जानते हैं कि राजस्थान में स्थानीय निकायों में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए गहलोत सरकार ने हाईब्रिड फार्मूलें को लागू किया था, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के कड़े विरोध के बाद गहलोत को अपने फार्मूले पर रोक लगानी पड़ी। लेकिन अब गहलोत महाराष्ट्र में सरकार बनवाने के लिए हाईब्रिड फार्मूले को लागू करवा रहे हैं। महाराष्ट्र में 288 में से कांग्रेस को मात्र 44 सीटें मिली हैं, लेकिन हाईब्रिड फार्मूले से गहलोत महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनवाने में लगे हुए हैं। आम तौर पर हाईब्रिड का मतलब पौधे या किसी पशु की नस्ल बदलना होता है। यानि दो अलग-अलग प्रकृतियों के जीवों का मिलन। सब जानते हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना का जन्म ही कांगे्रस और कट्टरपंथी मुसलमानों के विरोध से हुआ है। लेकिन अब गहलोत के हाईब्रिड फार्मूले से सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और शिवसेना में समझौता हो रहा है। समझौते की पहली सीढ़ी तो पार कर ली गई है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा ने इंकार कर दिया है। यानि फिलहाल महाराष्ट्र में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई है। कहा जा सकता है कि गहलोत के फार्मूले के अंतर्गत प्रत्यारोपण का पहला चरण सफल रहा है। क्योंकि यदि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के शरीर में मुख्यमंत्री पद के लालच का बीजारोपण नहीं होता तो शिवसेना भाजपा के साथ ही मिल कर सरकार बनाती। भले ही सरकार महाराष्ट्र के मुम्बई में बननी हो, लेकिन हाईब्रिड ऑपरेशन राजस्थान के जयपुर में हो रहा है। अशोक गहलोत की पहल पर महाराष्ट्र कांग्रेस के सभी विधायकों को 8 नवम्बर से जयपुर में ही टिकाए रखा गया है। कांग्रेस हाईब्रिड फार्मूले के लिए कितनी लालायित है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विधायक दल की बैठक भी जयपुर ही हुई। कुछ विधायकों ने हाईब्रिड फैसले का विरोध किया। ऐसे विधायकों का कहना रहा कि शिवसेना के साथ सरकार बनाना आत्महत्या करने के समान होगा। लेकिन ऐसे विधायकों की नहीं सुनी गई और बहुमत के आधार पर फैसला किया गया कि विधायक दल के नेता का निर्णय भी हाईकमान करेगा। शिवसेना के साथ गठबंधन करने का अधिकार भी हाईकमान को दे दिया गया। यह सब गहलोत के हाईब्रिड फार्मूले के अंतर्गत हुआ है। यदि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनती है तो माना जाएगा कि गहलोत का हाईब्रिड फार्मूला सफल रहा है भले ही कांग्रेस की नस्ल बदल जाए। 11 नवम्बर को दिल्ली में कांग्रेस और मुम्बई में एनसीपी की उच्च स्तरीय बैठकें हुई। वहीं सरकार गठन को लेकर गहलोत का कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से सम्पर्क बना रहा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए अशोक गहलोत मुम्बई भी जा सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अशोक गहलोत का हाईब्रिड फार्मूला देश की राजनीति में तेजी से घुसपैठ कर रहा है। सत्ता के लिए हर दल अपनी नस्ल सुधारने को उतावला है। हाईब्रिड फार्मूले से शिवसेना की नस्ल में भी बदलाव आएगा।
कांग्रेस के विधायक दिल्ली पहुंचे:
कोई तीन दिन तक जयपुर की एक रिसोर्ट में मेहमान नवाजी करवाने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक 11 नवम्बर की शाम को दिल्ली पहुंच गए हैं। कुछ विधायकों को हवाई जहाज व कुछ को एसी कारों के माध्यम से दिल्ली पहुंचाया गया। ये सभी विधायक श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे।
एस.पी.मित्तल) (11-11-19)
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