तो फिर न्यूज चैनलों पर औवेसी का भड़काऊ बयान बार बार क्यों प्रसारित हुआ?
तो फिर न्यूज चैनलों पर औवेसी का भड़काऊ बयान बार बार क्यों प्रसारित हुआ?
सोशल मीडिया पर गैर जिम्मेदाराना वीडियो पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो। इंटरनेट बंद करने से आम लोग ही नहीं कारोबार भी प्रभावित होता है।
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर राज्य सरकारों ने 9 नवम्बर से ही इंटरनेट बंद करवा दिया, ताकि मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेट फार्मों पर भड़काऊ बयान और वीडियो पोस्ट न हो सके। सरकार का इंटरनेट बंद करने का निर्णय अपना है, लेकिन जब भड़काऊ बयान के लिए ही इंटरनेट बंद किया गया तो फिर न्यूज चैनलों पर एआईएमआईएम के प्रमुख अससुद्दीन औवेसी का भड़काऊ बयान बार बार न्यूज चैनलों पर क्यों प्रसारित हुआ? औवेसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जो बयान दिया वह बेहद आपत्तिजनक था। सरकार एक ओर इंटरनेट बंद कर सोशल मीडिया पर रोक लगाती है तो दूसरी न्यूज चैनलों पर औवेसी का भड़काऊ बयान प्रसारित होने देती है। जाहिर है कि सरकार में जो लोग बैठे हैं उन्हें सिर्फ सोशल मीडिया पर दोषारोपण करना है। जिन लोगों ने औवेसी का बयान सुना, वे जानते हैं कि औवेसी ने कितनी बकवास की है। यह तो देश के हिन्दू-मुसलमान है जो अमन चैन चाहते हैं।
गलत वीडियो पोस्ट करने वालों पर कार्यवाही हो:
सरकार सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए इंटरनेट बंद कर देती है। अच्छा हो कि सरकार उन तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें जो भड़काने वाले वीडियो पोस्ट करते हैं। बार बार यह दावा किया जाता है कि पुलिस, प्रशासन और सरकार की नजर सोशल मीडिया पर है। सवाल उठता है कि गलत वीडियो पोस्ट करने वालों की पहचान कर सरकार कार्यवाही क्यों नहीं करती? यदि गलत वीडियो पोस्ट करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होने लगेगी तो फिर सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं होगा।
नेटबंदी से आम लोग परेशान:
नेटबंदी से आम लोगों के साथ-साथ कारोबार भी प्रभावित होता है। बैंकों, सरकारी दफ्तरों में काम काज ठप हो जाता है तो बाजार में दुकानदार भी ऑन लाइन भुगतान से वंचित हो जाते हैं। आम व्यक्ति बिजली, पानी के बिल इंश्योरेंस मेडिक्लेम की किश्त आदि का ऑन लाइन भुगतान नहीं कर सकता तो अभ्यर्थी भी प्रवेश पत्र आदि डाउनलोड नहीं कर पाते हैं। यानि नेटबंदी से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। सरकार को नेटबंदी करने से पूर्व लोगों की परेशानी भी समझनी चाहिए।
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