अजमेर में करोड़ों के भूमि घोटाले को लेकर पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

अजमेर में करोड़ों के भूमि घोटाले को लेकर पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र। पुलिस ने पहले जिन्हें दोषी माना, उन्हें दे दी भूमि की सुपुर्दगी। अवाप्तशुदा भूमि भी दे दी। 

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अजमेर के गेगल में आकाशवाणी केन्द्र के निकट करीब दो बीघा भूमि के घोटाले को लेकर पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पत्र में पूरे घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है। पत्र में अजमेर जिला प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी संदेह व्यक्त किया गया है। पत्र में मुख्यमंत्री को बताया गया कि उनके मालिकाना हक वाली औद्योगिक सम्पत्ति को 27 अप्रैल 2017 को पुलिस ने कुर्क कर गेगल के थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त कर दिया। यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन  ही था कि चरण सिंह नामक व्यक्ति ने अपने छोटे भाई महेन्द्र सिंह को यही दो बीघा भूमि गिफ्ट कर दी। चूंकि भाईयों ने यह कार्यवाही कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर की थी, इसलिए उन्होंने 28 जनवरी 2017 को गेगल पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज करवा दी। पुलिस ने विस्तृत जांच करने के बाद माना कि चरण सिंह ने गलत तरीके से अपने भाई महेन्द्र सिंह को गिफ्टडीड की है। पुलिस ने 15 जनवरी 2018 को न्यायालय में चार्जशीट पेश कर महेन्द्र सिंह, चरण सिंह और ओमप्रकाश को आईपीसी की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 120बी का आरोपी माना। यह मामला अभी अजमेर के एसीजेएम संस्था एक में विचाराधीन है। लेकिन गत 5 जुलाई 2019 को अजमेर के उपखंड मजिस्टे्रट ने आरोपी महेन्द्र सिंह को ही विवादित दो बीघा औद्योगिक  भूमि का कब्जा देने के आदेश दे दिए। हालांकि न्यायालय के संज्ञान में गेगल पुलिस की पूर्व में की गई कार्यवाही को भी लाया गया था। न्यायालय के आदेश के बाद गेगल पुलिस ने ही दो बीघा भूमि का कब्जा महेन्द्र सिंह को सौंप दिया। पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की गई कि इस बात की जांच करवाई जाए कि जिस भूमि को लेकर सिविल न्यायालय में चार्जशीट दायर है उसी भूमि का कब्जा  आरोपियों को क्यों दिया गया? जबकि दोनों ही मामलों में एक ही थाना है। क्या अब उपखंड मस्जिट्रेट के आदेश का असर सिविल कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण पर नहीं पड़ेगा? पत्र में मुख्यमंत्री को बताया कि दो बीघा भूमि में से 861 वर्गगज भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के लिए अवाप्त की गई थी। भूमि का मुआवजा भी प्राप्त कर लिया गया। भूमि अवाप्त की कार्यवाही भी अजमेर के उपखंड कार्यालय से ही हुई। यानि सिंगारिया परिवार की भूमि अवाप्ति की जानकारी उपखंड कार्यालय को थी, लेकिन इसके बाद भी सम्पूर्ण भूमि की सुपुर्दगी देने के आदेश दिए गए। यानि अवाप्तशुदा भूमि भी आरोपियों को दे दी गई है। सिंगारिया ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस मामले में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है, जिसमें प्रशासन और पुलिस की संदिग्ध भूमिका है।
इस आधार पर सुपुर्दगी:
वहीं उपखंड मजिस्ट्रेट ने 5 जुलाई 2019 के अपने आदेश में माना है कि बाबूलाल सिंगारिया ने अपनी फर्म नमो शिवशक्ति रेगजीन प्राइवेट लिमिटेड के लिए भूमि को किराए पर लिया था। 6 जनवरी 2017 को बाबूलाल ने अपने भाई महेन्द्र सिंह को भूमि का कब्जा दे दिया। 27 अप्रैल 2017 को जब रिसीवर ने कब्जा लिया तब भी भूमि पर महेन्द्र सिंह का ही कब्जा था। चूंकि रजिस्टर्ड दस्तावेज भी महेन्द्र सिंह के पक्ष में है, इसलिए महेन्द्र सिंह को ही कब्जा दिलवाने के आदेश दिए जा रहे हैं। इस मामले में पुलिस का कहना है कि उपखंड मजिस्ट्रेट ने जो आदेश दिए, उसकी पालना की गई है। चूंकि 2 बीघा भूमि कुर्क की गई थी, इसलिए सुपुर्दगी के समय भी दो बीघा का उल्लेख किया गया है। यह सामान्य प्रक्रिया है। इस मामले में पूर्व में न्यायालय में जो चार्जशीट पेश की गई उसमें अब न्यायालय के ही आदेशों की पालना की जाएगी। पुलिस ने सारी कार्यवाही पारदर्शिता के साथ की है।
प्रशासन में है खलबली:
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक सिंगारिया द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के बाद अजमेर प्रशासन और पुलिस में खलबली है। पत्र मेंजो सवाल उठाए गए है उनको लेकर अनेक अधिकारियों के समक्ष समस्या खड़ी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा ने पूरे प्रकरण में रिपोर्ट तलब की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि सिंगारिया पूर्व में केकड़ी से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। लेकिन बाद में सिंगारिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया था। सिंगारिया की आज भी केकड़ी के पिछड़े वर्ग में अच्छी पकड़ है।
एस.पी.मित्तल) (20-11-19)
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