तो क्या सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटने के बाद पी चिदम्बरम दूध के धूले हो गए?

तो क्या सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूटने के बाद पी चिदम्बरम दूध के धूले हो गए? सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में अगवा बने। 

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5 दिसम्बर को पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने संसद भवन परिसर में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हुए प्रदर्शन में मुख्य भूमिका निभाई। महंगे प्याज के विरोध में कांग्रेस के सांसदों का प्रदर्शन था। चूंकि पी चिदम्बरम 4 दिसम्बर को ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर रिहा हुए हैं, इसलिए मीडिया का फोकस भी चिदम्बरम पर ही रहा। चिदम्बरम ने कहा कि देश की अर्थ व्यवस्था गलत हाथों में हैं, इसलिए प्याज तक के दाम बढ़ रहे हैं। सरकार लोगों की आवाज दबा रही है, लेकिन मेरी आवाज नहीं दबाई जा सकती। सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की जमानत पर जेल से छूटने के बाद चिदम्बरम दूध के धुले हो गए हैं? यह भारत का लोकतंत्र ही है कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के संगीन आरोप में 106 दिनों तक जेल में बंद रहा, वो ही उपदेश दे रहा है। चिदम्बरम को यह समझना चाहिए कि यदि कोर्ट से जमानत नहीं मिलती तो उन्हें अभी जेल में ही रहना पड़ता। कोर्ट ने भी सशर्त जमानत दी है। जांच एजेंसियों ने चिदम्बरम पर भ्रष्टाचार के जो संगीन आरोप लगाए हैं उन्हें कोर्ट ने भी गंभीर माना है। सब जानते हैं कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहते चिदम्बरम ने विदेशी निवेश के जो निर्णय लिए उसकी एवज में लाभार्थी कंपनियों ने चिदम्बरम और उनके बेटे के विदेशी बैंक खातों में करोड़ों रुपए की राशि जमा करवाई थी। पुख्ता सबूत होने के बाद भी चिदम्बरम स्वयं को निर्दोष बता रहे हैं, जबकि अभी अदालत का फैसला आना है। हो सकता है कि कोर्ट चिदम्बरम को दोषी मानते हुए सजा सुना दे। लेकिन चिदम्बरम को भी पता है कि निचली अदालत की सजा कोई मायने नहीं रखती है। क्योंकि निचली अदालत के फैसले हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दी जा सकती है। चिदम्बरम की जमानत याचिका निचली अदालत और हाईकोर्ट में भी खारिज हुई थी, लेकिन कपिल सिब्बल जैसे महंगे वकील के दम पर चिदम्बरम सुप्रीम कोर्ट से जमानत हासिल करने में सफल रहे। चिदम्बरम स्वयं भी अच्छे वकील हैं। यदि कोई साधारण व्यक्ति होता तो जेल से छूटने के बाद कई दिनों तक घर से बाहर नहीं निकलता, लेकिन चिदम्बरम तो जेल से छूटते ही गुर्राने लगे हैं। आमतौर पर कहा जाता है कि भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राजनेताओं पर भी कार्यवाही होने लगी है। यही वजह है कि बड़े बड़े नेता अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं। स्वाभाविक है कि जिस नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भ्रष्ट राजनेताओं पर कार्यवाही की है वे नेता मोदी सरकार की प्रशंसा तो नहीं करेंगे। अब यदि पी चिदम्बरम संसद भवन परिसर में तख्ती लेकर महंगे प्याज पर आंसू बहाते हैं तो यह पीड़ा उनकी जायज है। लेकिन देश की जनता को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब राजनीति में से भ्रष्टाचार समाप्त होगा, तभी सरकारी विभागों में फैला भ्रष्टाचार खत्म होगा। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तसीगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र आदि राज्यों में कांग्रेस की या कांग्रेस के समर्थन से बनी सरकारें हैं। यदि इन राज्यों में भाजपा नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हों तो सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। राजनेताओं पर होने वाली कार्यवाही को राजनीतिक द्वेषता से हुई कार्यवाही नहीं माना जाना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (05-12-19)
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