झारखंड में भी मोदी विरोधियों को खुशी मिली।

झारखंड में भी मोदी विरोधियों को खुशी मिली।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के सहयोग से हेमंत सोरेन बनेंगे मुख्यमंत्री। 

=========
23 दिसम्बर को झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। 81 में से झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के संयुक्त गठबंधन को 42 से भी ज्यादा सीटें मिली है। इसलिए अब मोर्चे के प्रमुख हेमंत सोरेन झारखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। भाजपा ने इस बार नीतिश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू और रामविलास पासवान के नेतृत्व वाले एलजेपी के साथ चुनाव पूर्ण गठबंधन नहीं किया था, इसलिए भाजपा को अकेले दम पर 25 सीटें मिली हैं। चूंकि राजनीति में आंकड़ों का खेल होता है, इसलिए झारखंड में भी भाजपा सत्ता से बाहर हो गई है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव हुए थे। भाजपा ने हरियाण में जैसे तैसे सरकार बनाने में सफल हुई, लेकिन शिवसेना द्वारा कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने की वजह से भाजपा के हाथ से महाराष्ट्र भी निकल गया। अब झारखंड भी भाजपा के हाथ से निकल गया है। इससे मोदी विरोधियों को एक ओर खुशी मिली है। इसमें कोई दो राय नहीं कि झारखंड का चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने पूरी ताकत लगा दी थी। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने से लेकर अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने तक के निर्णयों से अवगत करवाया। झारखंड की जनता को यह भी बताया गया कि संशोधित नागरिकता कानून से किस प्रकार करोड़ों हिन्दू, सिक्ख, ईसाई, बोद्ध, जैन व पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी। यह भी बताया कि इन समुदायों पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर किस प्रकार अत्याचार हो रहे थे। झारखंड की जनता के सामने भाजपा की मौजूदा रघुबरदास सरकार की ईमानदारी भी रखी गई, लेकिन झारखंड की जनता ने मोदी-शाह की बातों पर भरोसा करने के बजाए हेमंत सोरेन, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की बातों पर भरोसा किया। राहुल गांधी का कहना रहा कि मोदी के निर्णय देश को तोडऩे वाले हैं। तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव के जेल में होने की दुहाई दी तो हेमंत सोरेन ने स्वयं को आदिवासियों का हितैषी बताया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बातों को तो किसी ने सुना भी नहीं है, इसलिए जेडीयू और एलजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। अब यह बात भी कोई मायने नहीं रखती है कि झारखंड में अकेले दम पर चुनाव लडऩे पर भी भाजपा को सर्वाधिक 35 प्रतिशत वोट मिले हैं और करीब 8 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार मात्र पांच सौ मतों के अंतर से पराजित हुए हैं। जबकि जेएमएम गठबंधन को 38 प्रतिशत वोटि मिले हैं। अब तो राहुल गांधी सीना ठोक कर कह सकते हैं कि महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया है। इसी प्रकार तेजस्वी यादव भी अब बिहार के मुख्यमंत्री बनने की बात दावे के साथ कह सकते है। झारखंड के चुनाव बिहार की राजनीति पर कितना असर डालेंगे, यह आने वाला समय ही बताएगा। हो सकता है कि अब बिहार में भाजपा, जेडीयू और एलजेपी मिल कर विधानसभा का चुनाव लड़े। झारखंड के परिणाम के बाद अनेक बुद्धिजीवी भाजपा को सलाह देने लग गए हैं। कहा जा रहा है कि मोदी और शाह घमंडी हो गए हैं, इसलिए सहयोगी दलों से गठबंधन भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए एक के बाद एक राज्य हाथ से निकल रहा है। जिस भाजपा को पूरे देश में परपचम फैल गया था उस भाजपा के पास गिने चुने राज्य ही रह गए हैं।
एस.पी.मित्तल) (23-12-19)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
वाट्सएप ग्रुप से जोडऩे के लिए-8955240680
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...