वामपंथियों के कब्जे वाले जेएनयू के कैम्पस में 50 नकाबपोश गुंड कैसे घुसे?

वामपंथियों के कब्जे वाले जेएनयू के कैम्पस में 50 नकाबपोश गुंड कैसे घुसे?
फीस का इंद्राज करने वाले कम्प्यूटर को क्यों तोड़ा?
क्या फायदा ऐसे शिक्षण संस्थान का?

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6 जनवरी को देश के सभी न्यूज चैनलों पर दिन भर दिल्ली की विश्वविख्यात जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई तोड़ फोड़ की खबरें प्रसारित होती रहीं। आरोप है कि 5 जनवरी की आधी रात को 50 नकाबपोश गुंडे हाथों में लाठियां लेकर कैम्पस में घुसे और जम कर तोड़ फोड़ की। गुंडों ने यूनिवर्सिटी के उस कम्प्यूटर और हार्ड डिस्क को भी नष्ट कर दिया जिसमें विद्यार्थियों द्वारा जमा करवाई गई फीस का इंद्राज था। इस गुंडागर्दी में कई छात्र-छात्राओं के चोटें भी आई हैं। सब जानते हैं कि जेएनयू में वामपंथियों का कब्जा है। यहां वामपंथी छात्रों की मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता। यूनिवर्सिटी में अधिकांश शिक्षक भी इसी विचारधारा के हैं। ऐसे में सवाल उठता कि पचास नकाबपोश गुंडे कैम्पस में कैसे घुस गए? यूनिवर्सिटी के अपने सुरक्षा गार्ड हैं। गुंडों के उत्पात मचाने के समय सुरक्षा गार्ड कहां थे? सीसीटीवी की फुटेज से पता चलता है कि गुंडों ने कैम्पस में बैठकर मीटिंग की और हमले की रणनीति बनाई। यानि कौनसा गुंडा किस तरह जाएगा, यह रणनीति कैम्पस में ही बनाई गई। जिस कैम्पस में कश्मीर की आजादी और भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगे थे, उसी कैम्पस में 50 गुंडे तोडफ़ोड़ कर आराम से चले जाएं, यह बात गले नहीं उतरती है। पुलिस को अपनी जांच में गुंडों के सरंक्षण का पता लगाना चाहिए। आखिर नकाब पोश गुंडे जेएनयू कैम्पस से सही सलामत कैसे लौट गए? सब जानते हैं कि जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर विद्यार्थी आंदोलन कर रहे थे। लेकिन इसके बावजूद भी सैकड़ों विद्यार्थी बढ़ी हुई फीस जमा करवा रहे थे, ताकि पढ़ाई होती रहे। विद्यार्थियों के फीस जमा करवाने से भी आंदोलनकारी छात्र नाराज थे। यह जांच का विषय है कि हमले में फीस के इंद्राज वाले कम्प्यूटर और हार्डडिस्क को नष्ट क्यों किया गया? अब यूनिवर्सिटी प्रशासन के लिए फीस का रिकॉर्ड निकालना मुश्किल होगा। ऐसे में कौनसे तत्व हैं जो जेएनयू का माहौल खराब कर रहे हैं। देश-दुनिया में जेएनयू यूनविॢसटी का नाम है, लेकिन यह यूनिवर्सिटी अब अराजकता का अड्डा बन गई है। सवाल उठता है कि ऐसी यूनिवर्सिटी का क्या फायदा है? राजनीति दल इस पूरे घटनाक्रम पर अपने अपने नजरिए से प्रतिक्रिया दे रहे हैं, लेकिन जेएनयू के ताजा हालातों को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता है। शायद कुछ लोगों की मंशा जेएनयू की आड़ में देश में छात्र आंदोलन को भड़काने की हो। ऐसे तत्वों से देश के युवाओं को सावधान रहना चाहिए। चूंकि दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, इसलिए हालातों को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी केन्द्र सरकार की है। केन्द्र सरकार को मामले में दखल देकर उन गुंडों का पता लगाना चाहिए, जिन्होंने आधी रात जेएनयू में तोडफ़ोड़ की है।
एस.पी.मित्तल) (06-01-2020)
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