देश में विद्यार्थियों को और कितनी आजादी चाहिए?

देश में विद्यार्थियों को और कितनी आजादी चाहिए?
जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में हजारों छात्रों ने 
वीसी को घरे को डेढ़ घंटे तक सवाल पूछे।

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13 जनवरी को दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के कैम्पस में कुलपति नजमा अख्तर को घेर कर छात्र-छात्राओं ने कोई डेढ़ घंटे तक सवाल पूछे। कुलपति अख्तर ने सभी सवालों के जवाब धैर्य के साथ दिए। वीसी पर सीधे आरोप लगाने के बाद भी नजमा अख्तर ने धैर्य नहीं खोया। कई आक्रोशित विद्यार्थियों ने तो नजमा अख्तर से इस्तीफा देने की मांग भी की। विद्यार्थियों का आरोप रहा कि पिछले माह जब पुलिस ने यूनिवर्सिटी कैम्पस में घुसकर मारपीट की तब कुलपति ने विद्यार्थियों का बचाव नहीं किया? आज तक भी पुलिस के खिलाफ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एफआईआर दर्ज नहीं करवाई है। एक नाराज विद्यार्थी ने गुस्से में कहा कि यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर का कहना रहा कि यदि विद्यार्थी पत्थर फेंकेंगे तो पुलिस लाठियां चलाएगी। इस पर विद्यार्थियों ने नाराजगी जताई। विद्यार्थियों का कहना रहा कि पुलिस के लाठी चार्ज से छात्रों के चोटे आई है। छात्रों के गुस्से को देखते हुए वीसी अख्तर ने कहा कि वे सरकार की मुलाजिम है। सरकार जो दिशा निर्देश देती है उसके अनुरूप ही काम करती हैं। जहां तक पुलिस के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने का सवाल है तो यदि पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो वे कोर्ट के आदेश से दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाएंगी। उन्होंने कहा कि पुलिस को कैम्पस में घुसने की अनुमति यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से नहीं दी गई। वीसी का कहना रहा कि विद्यार्थी यूनिवर्सिटी में पढऩे के लिए आते हैं इसलिए उन्हें पढ़ाई और परीक्षा के संबंध में सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थी परीक्षा देने को तैयार हो तो वे परीक्षा का कार्यक्रम घोषित कर सकती है। वीसी ने कहा कि छात्रों को बेवजह गुमराह किया जा रहा है। वे अपने विद्यार्थियों के साथ हैं वे चाहते हैं कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का काम सूचारू रूप से चले। उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि अभिभवकों की अनेक उम्मीदे उनसे जुड़ी हंै। इसलिए यूनिवर्सिटी में पढ़ाई को प्राथमिकता देनी चाहिए।
और कितनी आजादी?
13 जनवरी को जामिया यूनिवर्सिटी ने जिस तरह विद्यार्थियों और कुलपति के बीच संवाद हुआ, उससे सवाल उठता है कि आखिर विद्यार्थियों को और कितनी आजादी चाहिए? आमतौर पर कोई समस्या होने पर विद्यार्थियों का प्रतिनिधि मंडल कक्ष में जाकर कुलपति से मुलाकात करता है। लेकिन इसे लोकतंत्र में खुली आजादी ही कहा जाएगा कि कुलपति को हजारों आक्रोशित विद्यार्थियों के बीच आना पड़ा और ऐसे कई सवाल सुनने पड़े जो कुलपति की गरिमा के अनुकूल नहीं थे। यह माना कि यह मामला कुलपति और विद्यार्थियों के बीच का है, लेनिक फिर भी विद्यार्थियों को भाषा पर संयम रखाना चाहिए। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि 15 दिसम्बर को किन हालातों में पुलिस को जामिया यूनिवर्सिटी में प्रवेश करना पड़ा। पुलिस की कार्यवाही में जिन विद्यार्थियों के चोटें आई हैं उनकी भी जांच होनी चाहिए, लेकिन यूनिवर्सिटी कैम्पस से जो पथराव हुआ उसमें अनेक पुलिस वाले जख्मी हुए। यदि यूनिवर्सिटी कैम्पस से पथराव होगा, तो पुलिस को कार्यवाही तो करनी ही पड़ेगी। सरकार का भी यह दायित्व है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का काम जल्द से जल्द सामान्य हो। अभिभावक बड़ी उम्मीद के साथ बच्चों को यूनिवर्सिटी में पढऩे के लिए भेजते हैं, यदि ऐसे बच्चे हिंसक घटनाओं के शिकार होंगे तो अभिभावकों की भावनाओं को भी दु:ख पहुंचेग
एस.पी.मित्तल) (13-01-2020)
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