महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे शिर्डी की तरह पाथरी में भी चाहते हैं सांई बाबा का भव्य मंदिर।

महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे शिर्डी की तरह पाथरी में भी चाहते हैं सांई बाबा का भव्य मंदिर। 100 करोड़ रुपए की मदद।
ठाकरे की चाहत के विरोध में शिर्डी में 19 जनवरी से बेमियादी बंद, पर मंदिर खुला रहेगा। सांई तो कण कण में हैं।
शिर्डी के सांई मंदिर में प्रतिवर्ष होता है 280 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा।

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सांई बाबा के जो भक्त दर्शन के लिए महाराष्ट्र के अहमद नगर के शिर्डी गांव जाना चाहते हैं वे 19 जनवरी से सोच विचार कर जाएं। 19 जनवरी से शिर्डी में बेमियादी बंद रहेगा। 300 से ज्यादा होटलें, धर्मशाला और गेस्ट हाउस बंद रहेंगे। श्रद्धालुओं को चाय नाश्ता, भोजन भी नसीब नहीं होगा, क्योंकि शिर्डी के बजार भी बंद रहेंगे। लेकिन मंदिर ट्रस्ट ने फैसला किया है कि श्रद्धालुओं के लिए मंदरि खुला रहेगा, ताकि सांई के दर्शन हो सके। शिर्डी में प्रतिदिन 25 हजार श्रद्धालु आते हैं। अवकाश एवं खास मौकों पर श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है। मंदिर में प्रति वर्ष 580 रुपए का चढ़ावा आता है। मंदिर के खर्च के बाद 280 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा होता है। प्रतिवर्ष चढ़ावे में और मुनाफ में वृद्धि हो रही है। शिर्डी के सांई मंदिर की सफलता को देखते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि परमणी जिले के पाथरी गांव में भी सांई बाबा का भव्य मंदिर बनाया जाए। इसके लिए ठाकरे ने सरकार की ओर से 100 करोड़ रुपए की स्वीकृत किए हैं। पाथरी को सांई बाबा का जन्म स्थान माना जा रहा है। हालांकि पाथरी को सांई का जन्म स्थान मान कर अनुदान देने की मांग भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस के सामने भी रखी गई थी, लेकिन फडऩवीस सरकार ने पाथरी को सांई के जन्म स्थान के तौर पर मान्यता नहीं दी। चूंकि अब ठाकरे सरकार ने 100 करोड़ रुपए का अनुदान दे दिया है, तब यह माना जा रहा है कि पाथरी को सांई के जन्म स्थान के रूप में मान्यता मिल जाएगी। यदि ऐसा होता है तो शिर्डी के मुकाबले पाथरी का महत्व ज्यादा होगा। वहीं शिर्डी के मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि सांई ने कभी अपना धर्म ही नहीं बताया तो जन्म स्थान की बात कहां से आ गई? सांई तो इंसानियत को महत्व देते रहे। पाथरी में भव्य मंदिर बने, इस पर शिर्डी ट्रस्ट को कोई एतराज नहीं है। देश के कई स्थानों पर सांई बाबा के मंदिर हैं। लेकिन जन्म स्थान बताकर पाथरी में मंदिर निर्माण या विकास करना उचित नहीं है। सांई भक्तों की आस्था शिर्डी से ही जुड़ी हैं।
सांई तो कण कण में है:
महाराष्ट्र में भले ही सांई बाबा के जन्म स्थान को लेकर विवाद हो रहा हो, लेकिन श्रद्धालुओं का मानना है कि सांई तो कण कण में हैं। जो श्रद्धालु सच्चे मन से स्मरण करता है उसका भला अपने आप हो जाता है। ट्रस्ट को चलाने वाले भले ही अपने मुनाफे को देख रहे हों, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था तो सांई में है। सांई की पत्थर की प्रतिमा में नहीं है, सांई तो श्रद्धालुओं के दिल में है। शिर्डी के मंदिर का महत्व सांई के भक्तों के आने से है, लेकिन यदि भक्तों को शिर्डी में चाय पानी भी नसीब नहीं होगा तो फिर कौन जिम्मेदार होगा। भक्तों के परेशान होने से सांई को भी पीड़ा होगी। कोई सांई अपने भक्तों को दु:खी नहीं देखना चाहता।
एस.पी.मित्तल) (18-01-2020)
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