मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने अजमेर की आनासागर झील का दर्द बयां किया।

मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने अजमेर की आनासागर झील का दर्द बयां किया।
उदयपुर की झीलों से नहीं हो सकती तुलना।
आनासागर में आज भी 11 नालों का गंदा पानी आ रहा है। 

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19 जनवरी को राजस्थान पत्रिका के बर्ड फेयर के समापन समारोह में अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने आनासागर झील का दर्द बयां किया। गहलोत ने स्वीकार किया कि शहर के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाने वाली आनसागर झील में आज भी 11 नालों का गंदा पानी आ रहा है। कुछ लोग आनासागर की तुलना उदयपुर की झीलों से करते हैं, जबकि उदयपुर की झीलों में बरसात का पानी आता है, वहीं आनासागर में नालों का गंदा पानी आता है। पूर्व में बांडी नदी के जरिए फायसागर का ओवर फ्लो पानी आनासागर में आता था, लेकिन अब आनासागर के चारों ओर बसी कॉलोनियों का मल-मूत्र वाला पानी ही गिरता है। हालांकि बांडी नदी वाले नाले और वैशाली नगर में एचकेएच पब्लिक स्कूल के निकट वाले नाले के गंदे पानी को रोका गया है, लेकिन अभी भी बहुत काम की जरुरत है। प्रशासन में बैठे अधिकारियों को चाहिए कि नालों के गंदे पानी को आनासागर में गिरने से रोका जाए। आनासागर के किनारे ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है। योजना के अंतर्गत नालों का गंदा पानी पाइप के जरिए ट्रीटमेंट प्लांट में आएगा और साफ पानी आनासागर में पहुंचेगा। गंदे पानी की वजह से आनासागर के पानी में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है जिसकी वजह से जीव जन्तुओं के जीवन को खतरा होता है। कई बार आनासागर के पानी से बदबू आती है। बदबू को रोकने के लिए भी समय समय पर उपाय होते हैं। चूंकि आनासागर में गंदा पानी गिरता है, इसलिए आनासागर हमेशा भरा रहता है। अभी भी चैनल गेट से पानी, छलक रहा है। आनासागर की सफाई के लिए नई तकनीक की मशीन भी मंगाई गई है। यही वजह है कि अब आनासागर में जलकुंभी नहीं होती। मेयर ने माना कि आनासागर झील के संरक्षण के लिए अभी अनेक काम किए जाने हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कार्यों को गति मिलनी चाहिए। अजमेर के नागरिकों के लिए आनासागर एक धरोहर है, जो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निखारती है। यदि आनासागर का संरक्षण सही प्रकार से हो तो अजमेर में पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है। आनासागर के चारों तरफ पाथ वे के निर्माण से शहरवासियों को घूमने का अवसर भी मिल रहा है।
एस.पी.मित्तल) (20-01-2020)
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