सीएए लागू नहीं किया तो राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू होगा-भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी।

सीएए लागू नहीं किया तो राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू होगा-भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी।
कांग्रेस सरकार के फूफा को भी लागू करना होगा सीएए-सतीश पूनिया।
मुल्क की खूबसूरती धर्मनिरपेक्षता से ही बढ़ेगी-कांग्रेस विधायक अमीन खान।
विधानसभा में सीएए पर जोरदार बहस। 

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25 जनवरी को राजस्थान विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून पर जमकर बहस हुई। चूंकि प्रदेश में पूर्णबहुमत वाली कांग्रेस की सरकार है, इसलिए सीएए को लागू नहीं करने वाला सरकारी प्रस्ताव स्वीकृत हो ही रहा है। विधानसभा में पारित यह प्रस्ताव संवैधानिक दृष्टि से कितना मायने रखता है, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। 25 जनवरी को सीएए पर भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के विधायकों के बीच जोरदार बहस हुई। अजमेर उत्तर क्षेत्र से चौथी बार भाजपा विधायक चुने और दो बार मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान में भी संशोधित नागरिकता कानून लागू करना पड़ेगा। यदि कांगे्रस सरकार संसद से मंजूर और राष्ट्रपति से अनुमोदित इस कानून को लागू करने से मना करती है तो सरकार और उसके मुख्यमंत्री को घर भेज दिया जाएगा। राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाएगा। देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार को इस कानून को रोकने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और न ही इस कानून पर विधानसभा में कोई प्रस्ताव लाया जा सकता है। मेरे परिवार ने भी देश के विभाजन का दर्द झेला है। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी 23 प्रतिशत थी जो आज घट कर मात्र 3 प्रतिशत रह गई है। पाकिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताडि़त हो कर आए हिन्दू अपने देश भारत में शरण नहीं लेंगे तो फिर कहां लेंगे? सीएए का विरोध बेमानी है, चूंकि इससे किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं छिनी जा रही है। पाकिस्तान से आए हिन्दू सिक्ख, जैन, बौद्ध,पारसी समुदाय के लोग शरणार्थी बनकर अपने ही देश में दर दर की ठोकरे खा रहे हैं।
फूफा को भी लागू करना होगा:
बहस में भाग लेते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और आमेर के विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि सीएए को राजस्थान की सरकार के फूफा को भी लागू करना होगा। राज्य सरकार संवैधानिक दृष्टि से इस कानून को लागू करने से इंकार नहीं कर सकती है। पूनिया ने कांग्रेस के विरोध के संदर्भ में कहा कि वर्ष 2018 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में भी पाकिस्तान से आए हिन्दू और सिक्ख समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने का वायदा किया था। वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अशोक गहलोत ने ही केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम को पत्र लिखकर ऐसे शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की मांग की थी, लेकिन आज वही कांग्रेस राजनीतिक कारणों से शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध कर रही है। इससे कांगे्रस का दोहरा चरित्र उजागर होता है।
मुल्क की खूबसूरती:
नगरिक विकास मंत्री शांति धारीवाल द्वारा रखे गए प्रस्ताव को समर्थन करते हुए जयपुर से कांग्रेस के विधायक अमीन खान ने कहा कि मुल्क की खूबसूरती धर्मनिरपेक्षता से ही बढ़ेगी। मैं पांचवीं बार विधायक चुना गया हूं मेरे विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी मात्र बीस प्रतिशत है, चूंकि मुझे हिन्दुओं के भी वोट मिलते हैं, इसलिए मैं बार बार विधायक चुना जाता हंू भाजपा का शायद ही कोई ऐसा नेता होगा, जिसका मुसलमानों से विवाद हो। मैं मानता हंू कि 1947 में देश का विभाजन दुर्भाग्यपूर्ण रहा। देश की आजादी में मुस्लिम स्वस्तंत्रता सैनानियों का भी योगदान है। अमीन खान ने आरोप लगाया कि केन्द्र की भाजपा सरकार देश में माहौल खराब करने के लिए संशोधित नागरिकता कानून लाई है। इस कानून से देश का एक और विभाजन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे धर्मनिरपेक्षता पर प्रतिकूल असर पड़ता हो।
(एस.पी.मित्तल) (25-01-2020)
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