शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए।

शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए।
विदेशी निवेश से सेवा की भावना खत्म न हो।
आम बजट पर देश के प्रमुख शिक्षाविद् प्रो. फुरकान कमर की दो टूक। 

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केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल और राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति रहे तथा मौजूदा समय में दिल्ली स्थित जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में प्रबंध संकाय के प्रोफेसर फुरकान कमर ने दो फरवरी को अजमेर में मीडिया से संवाद किया। एक फरवरी को केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमन द्वारा संसद में प्रस्तुत आम बजट पर प्रो. फुरकान ने अपनी दो टूक राय दी। उन्होंने कहा कि वे शिक्षा से जुड़े हुए हैं, इसलिए आम बजट में शिक्षा को लेकर जो बातें कहीं गई हैं, उन्हीं पर अपनी राय देंगे। सरकार ने एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश की बात कही है। असल में पहले भी शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश होता रहा है।
यही वजह है कि हमारे देश में अनेक विदेशी संस्थाएं शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब तक सरकार का मकसद शिक्षा का क्षेत्र सेवाभाव और समाज को सुयोग्य बनाने का रहा। इसलिए सरकार चेरिटेबल शिक्षण संस्थाओं को रियासती दर पर भूमि व अन्य सुविधा देने का काम करती है। आरटीई कानून भी इसलिए लाया गया ताकि समाज में हर वर्ग को गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा मिल सके। अब चूंकि सरकार का जोर शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश पर है, इसलिए हमें यह देखना होगा कि सेवा का भाव खत्म न हो। आमतौर पर यह माना जाता है कि विदेशी संस्थाएं लाभ कमाने के लिए निवेश करती है। प्रो. फुरकान ने कहा कि जहां तक भारतीय युवाओं की योग्यता का सवाल है तो मौजूदा शिक्षा व्यवस्था से ही भारत का युवा दुनिया भर में अपनी योग्यता का डंका बजा रहा है। हमारे युवा अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में बड़े बड़े पदों पर नियुक्त हैं, यानि देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवा रही है। सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में संसाधन बढ़ाने चाहिए ताकि आम युवक शिक्षा ग्रहण कर सके। जहां तक उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का सवाल है तो मैं इस आरक्षण व्यवस्था का पक्षधर हंू। भले ही देश के मुस्लिम समुदाय को आरक्षण का लाभ न मिलता हो, लेकिन मेरा मानना है कि आरक्षण व्यवस्था से समाज के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को बराबर आने का अवसर मिल रहा है।
कठिन परिस्थितियों में अच्छा बजट:
प्रो. फुरकान ने कहा कि जब जीडीपी दर घट रही हो राजस्व संग्रहण में कमी हो रही हो, महंगाई लगातार बढ़ रही हो तब केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कठिन परिस्थितियों में एक अच्छा बजट प्रस्तुत किया है, भले ही अभी इस बजट को समझने में कठिनाई हो, लेकिन आने वाले दिनों में बजट के अच्छे परिणाम आएंगे। उन्होंने माना कि मौजूदा समय में आम व्यक्ति की आय बढऩी चाहिए। जब तक बाजार में आम व्यक्ति खरीददारी नहीं करेगा, तब तक जीडीपी दर नहीं बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने मनरेगा के तहत ग्रामीणों को जो रोजगार उपलब्ध करवाया उससे प्रत्येक परिवार को सालाना 12 हजार रुपए तक मिल रहा था, लेकिन इस बार आम बजट में मनरेगा की राशि को कम किया गया है। यह माना कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत किसानों को सीधे छह हजार रुपए का भुगतान कर रही है। इसी प्रकार आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवार को पांच लाख रुपए तक स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करवाया गया। प्रो. फुरकान ने कहा कि वे डिसइनवेस्टमेंट के पक्ष में नहीं है, यदि एयर इंउिया को बेच कर तथा एलआईसी का आईपीओ लाकर राशि एकत्रित की जाकर सीर्फ व्यय किया जा रहा है तो यह देश के लिए उचित नहीं हे, लेकिन यदि प्राप्त राशि से नई सम्पत्तियां बनाई जा रही है तो यह अच्छी बात है। आने वाले दिनों में पता चलेगा कि सरकार एयर इंडिया और एलआईसी से एकत्रित राशि किस मद पर खर्च कर रहा है। हमारी पुरानी सम्पत्तियां आर्थिक स्थिति को समृद्ध बनाती है।
सीएए और एनआरसी पर भ्रम की स्थिति:
प्रो. फुरकान ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर समाज में खासकर मुस्लिम समुदाय में भ्रम की स्थिति हैै। यदि सरकार देशभर में एनआरसी लागू नहीं करना चाहता है तो संसद में प्रस्ताव लाकर अपने कथन को स्पष्ट करना चाहिए। चूंकि सीएए और एनआरसी को जोड़कर देखा जा रहा है। इसलिए भ्रम की स्थिति बनी हुई है। सरकार में बैठे लोग ही इस भ्रम को दूर कर सकते हैं। अपनी जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के बारे में प्रो. फुरकान ने कहा कि मीडिया चाहे जैसी छवि बना रहा हो, लेकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का काम सुचारू तरीके से चल रहा है। यूनिवर्सिटी के अंदर देश विरोधी काम कुछ भी नहीं हो रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (02-02-2020)
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