सफाई ठेकेदार से पार्षदों द्वारा प्रतिमाह 18 हजार रुपए का लिफाफा लेने के प्रकरण में अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और डिप्टी मेयर संपत सांखला के बयान भी हुए।

सफाई ठेकेदार से पार्षदों द्वारा प्रतिमाह 18 हजार रुपए का लिफाफा लेने के प्रकरण में अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और डिप्टी मेयर संपत सांखला के बयान भी हुए।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री बीरम देव सिंह और जयपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने अजमेर आकर जांच पड़ताल की।
भाजपा पार्षद चन्द्रेश सांखला ने ही साधारण सभा में लगाया था गंभीर आरोप। 

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14 फरवरी को भाजपा के प्रदेश महामंत्री बीरम देव सिंह और जयपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने अजमेर में जयपुर रोड स्थित एक होटल में अपना डेरा जमाया और बहुचर्चित लिफाफा  प्रकरण की जांच की। अजमेर नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है। गत 11 व 12 फरवरी को हुई नगर निगम की साधारण सभा में भाजपा के पार्षद चन्द्रेश सांखला ने खुला आरोप लगाया कि सफाई ठेकेदार प्रतिमाह सभी पार्षदों को 18 हजार रुपए का लिफाफा देता है। सांखला ने माना कि इस भ्रष्टाचार की शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनसुनवाई में की है। हालांकि साधारण सभा में ही मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने लिफाफा वितरण से इंकार किया। चूंकि भाजपा पार्षद के आरोपों को लेकर साधारण सभा में हंगामा हुआ, इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने लिफाफा प्रकरण की जांच के लिए दो प्रतिनिधियों को अजमेर भेजा। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर आए महामंत्री बीरम देव सिंह और मनोज भारद्वाज ने सबसे पहले आरोप लगाने वाले भाजपा पार्षद चन्द्रेश सांखला के बयान दर्ज किए। इसके बाद निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और डिप्टी मेयर संपत सांखला के बयान दर्ज किए। असल में जांच कमेटी यह जानना चाहती है कि भाजपा के शासन वाले बोर्ड में क्या पार्षद सफाई ठेकेदार से प्रतिमाह 18 हजार रुपए का लिफाफा लेते हैं? चूंकि यह आरोप भाजपा के ही पार्षद ने लगाया है, इसलिए प्रदेश नेतृत्व ने मामले को गंभीरता से लिया है। जानकार सूत्रों के अनुसार मेयर गहलोत ने अपने बयानों में कहा है कि भाजपा पार्षद सांखला और एक अन्य पार्षद के बीच व्यक्तिगत विवाद हो रहा है, इसलिए सांखला ऐसे आरोप लगा रहे हैं। मेयर का कहना रहा कि किसी भी पार्षद के द्वारा सफाई ठेकेदार से लिफाफा नहीं लिया जाता है। भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस के पार्षदों ने भी लिफाफा लेने से इंकार किया है। मेयर ने माना कि सांखला के आरोप से भाजपा बोर्ड की छवि खराब हो रही है। वहीं डिप्टी मेयर संपत सांखला ने संतुलित बयान दर्ज करवाएं हैं। सांखला का कहना रहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, लेकिन सांखला ने पार्षद के तौर पर स्वयं के द्वारा लिफाफा लिए जाने से इंकार किया। जांच में सांखला के बयानों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेश से आए दोनों प्रतिनिधियों ने  मेयर, डिप्टी मेयर और आरोप लगाने वाले पार्षद के बंद कमरे में अलग अलग बयान लिए हैं। सभी को हिदायत दी गई है कि वे मीडिया के सामने अब कोई बयानबाजी नहीं करे। उल्लेखनीय है कि साधारण सभा के बाद मेयर और पार्षद सांखला ने मीडिया के समक्ष एक दूसरे पर भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन अब पार्षद नेतृत्व नहीं चाहता कि यह मामला बार बार मीडिया में उछाला जाए। चूंकि अगस्त माह में अजमेर नगर निगम के 80 वार्डों के चुनाव होने हैं, इसलिए प्रदेश नेतृत्व अब इस पूरे प्रकरण को बहुत गंभीरता से ले रजा है।
(एस.पी.मित्तल) (14-02-2020)
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