नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने सेटेलमेंट अधिकारी की चोट का दर्द विधानसभा में सुनाया।

नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने सेटेलमेंट अधिकारी की चोट का दर्द विधानसभा में सुनाया। इससे आम व्यक्ति की पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
12 माह में एक भी नंदीशाला नहीं खुली, धरी रह गई गहलोत सरकार की बजट घोषणा। विधायक अनिता भदेल ने उठाया ईमित्र का मामला। 

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18 फरवरी को राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में जिस बेबाकी से अपना दर्द बयां किया, उससे उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही आम व्यक्ति की पीड़ा का भी अंदाजा लगा लेना चाहिए। आज प्रदेश में हजारों ऐसे खातेदार हैं जो अधिकारी के गलत इन्द्राज की वजह से राजस्व अदालतों में चक्कर लगा रहे हैं। नगरीय क्षेत्रों में भूमि के बंदोबस्त के लिए भाजपा शासन में बनाए एक्ट का जवाब देते हुए धारीवाल ने कहा कि इस एक्ट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे ही कानूनों से लोगों को बेवजह परेशानी हो रही है। स्वयं का दर्द बयां करते हुए धारीवाल ने कहा कि कोटा की एक महिला सेटेलमेंट अधिकारी ने उनकी आठ बीघा भूमि में से चार बीघा भूमि सरकारी रिकॉर्ड में सिवायचक दर्ज कर दी। यह गलती पूरी तरह सेटेलमेंट अधिकारी की थी, लेकिन इस गलती को सुधारने में मुझे आठ वर्ष लग गए। मैं खातेदार के दर्द को अच्छी तरह समझता हंू। भाजपा की सरकार ने आपाधापी में एक्ट तो बना दिया, लेकिन नियम नहीं बनाए। बगैर नियमों के हम भूमि बंदोबस्त का एक्ट लागू नहीं कर सकते हें। सवाल उठता है कि जब धारीवाल जैसे ताकतवर राजनेता को अधिकारी की गलती सुधारने में 8 वर्ष लग गए तो आम भूमि मालिक का क्या हो रहा होगा? सब जानते हैं कि सेटेलमेंट या अन्य राजस्व विभाग के अधिकारी कब और क्यों गलती करते हैं? हालांकि इस ओर धारीवाल ने कोई इशारा नहीं किया, लेकिन उनके दर्द से अंदाजा लगाया जा सकता है। धारीवाल ने तो 8 वर्ष में अपनी चार बीघा भूमि वापस ले ली, लेकिन हजारों भूमि मालिक राजस्व अदालतों में धक्के ही खा रहे हैं।
धरी रह गई बजट घोषणा:
प्रश्न काल के दौरान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने 2019-20 के बजट में पंचायत समिति स्तर पर नंदीशालाएं खोलने की घोषणा की थी। अब सरकार अपना दूसरा बजट पेश करने जा रही है, लेकिन पहले बजट की घोषणा के अनुरूप प्रदेशभर में एक भी पंचायत स्तर की नंदीशाला के लिए भूमि का आवंटन तक नहीं हुआ। क्या कांग्रेस सरकार बजट में यूं ही घोषणा करती है? कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने माना कि प्रदेश में एक भी नंदीशाला शुरू नहीं हो सकी है, लेकिन प्रयास जारी है।
विधायक अनिता भदेल ने उठाया ईमित्र का मामला:
18 फरवरी को भाजपा की विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान ईमित्र का मुद्दा उठाया। श्रीमती भदेल ने कहा कि एक ओर सरकार सभी तरह के आवेदन ईमित्र के माध्यम से करने पर जोर दे रही है तो दूसरी ओर एक  हजार से भी ज्यादा ईमित्र के मामले अधर में लटके पड़े हैं। सरकार के आईटी विभाग ने विभिन्न कारणों से ईमित्र के मामले अटका रखे हैं। ऐसी स्थिति में जरुरतमंद व्यक्ति को सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। खाद्य सुरक्षा के जरूरतमंद व्यक्ति भी परेशान हो रहे हैं। इस सवाल का जवाब खाद्य मंत्री रमेश मीणा संतोषजनक तौर पर नहीं दे सके, तब विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जब आईटी सेक्टर इतना मजबूत हो गया है, तब सरकार ने ईमित्र सिस्टम को अभी तक मजबूत क्यों नहीं किया। जोशी ने कहा कि सरकार को आईटी सेक्टर को मजबूत कर लोगों को अधिक से अधिक सुविधा दिलवानी चाहिए।
(एस.पी.मित्तल) (18-02-2020)
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