मुसलमानों में डर का माहौल बताने वाले नेता अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में आकर हकीकत देखें।

मुसलमानों में डर का माहौल बताने वाले नेता अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में आकर हकीकत देखें।
सालना उर्स में लाखों जायरीन ने दरगाह में अकीदत और बगैर डरे जियारत की है।
देश के ही नहीं पाकिस्तान से आए मुसलमान भी अजमेर में ठहरे हुए हैं। 
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अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालना उर्स में बड़े कुल की रस्म पांच मार्च को होगी। इसके साथ विधिवत तौर पर ख्वाजा साहब का उर्स सम्पन्न हो जाएगा। उर्स मेला क्षेत्र में प्रशासन के अस्थायी इंतजाम भी हटा लिए जाएंगे। 25 फरवरी से शुरू हुए उर्स में देशभर के लाखों मुसलमानों ने अकीदत और बिना डरे दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप जियारत की है। चाहे कायड़ विश्राम स्थली हो या दरगाह के आसपास का मेला क्षेत्र। जायरीन की भीड़ की वजह से पैर रखने की जगह भी नहीं मिली। 2 मार्च को कुल की प्रमुख रस्म में भाग लेने के लिए दो दिन पहले से लाखों जायरीन अजमेर पहुंच गए। हजारों बसों, ट्रेनों एवं अन्य वाहनों से बड़ी संख्या में जायरीन आए। राजनीतिक दलों के जो नेता देश में मुसलमानों में डर की बात कहते हैं उन्हें अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर आकर हकीकत देखनी चाहिए। दिल्ली में बैठ कर टीवी चैनलों पर डर वाले बयान देने से हकीकत को नहीं बदला जा सकता। प्रतिवर्ष की तरह उर्स में देशभर खासकर यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल से मुसलमान उर्स में बड़ी संख्या में शामिल हुए। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे। उर्स में जायरीन की भीड़ बताती है कि डर का कोई माहौल नहीं है। यदि स्वार्थी नेताओं के कहे मुताबिक डर होता तो उर्स में इतनी भीड़ नहीं होती। अजमेर का प्रशासन और पुलिस तंत्र भी बधाई का पात्र है कि इतनी जबर्दस्त भीड़ के बाद भी अजमेर में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इससे ज्यादा और क्या हो सकता है कि जब कुल की रस्म में भाग लेने के लिए एक मार्च को दरगाह में लाखों जायरीन मौजूद थे, तब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की ओर से भी मजार शरीफ पर चादर पेश की गई। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य बड़े नेता सोनिया गांधी की चादर को लेकर अजमेर आए। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने सुकून भरे माहौल में जियारत भी की। इतना ही नहीं सरकारी स्तर पर पाकिस्तान से 200 से भी ज्यादा जायरीन गत 28 फरवरी से अजमेर के सेंट्रल गल्र्स स्कूल में मेहमान बन कर रह रहे हैं। यानि भारत के ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के मुसलमान भी बेखौफ दरगाह में जियारत कर रहे हैं। पाकिस्तान के जायरीन 7 मार्च तक अजमेर में ही रहेंगे। पाकिस्तान के जायरीन बड़े आराम से शहर में इधर-उधर घूम रहे हैं। दरगाह में जियारत के साथ साथ बाजार में खरीददारी भी कर रहे हैं। जब पाकिस्तान से आए जायरीन को कोई डर नहीं है तो फिर नेतागण कौन से डर की बात कर रहे हैं? ख्वाजा साहब की दरगाह को साम्प्रदायिक सद्भावना की मिसाल माना जाता है। राजनेता दिल्ली में बैठ कर कुछ भी बकवास करें, लेकिन 800 वर्ष बाद भी ख्वाजा साहब की दरगाह अपनी मिसाल पर खरी उतर रही है।

एस.पी.मित्तल) (03-03-2020)
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