सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर अजमेर प्रशासन भेदभाव कर रहा है-मेयर धर्मेन्द्र गहलोत।

सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर अजमेर प्रशासन भेदभाव कर रहा है-मेयर धर्मेन्द्र गहलोत।
कांग्रेस के एजेंट की भूमिका निभा रहा है अजमेर प्रशासन-विधायक सुरेश रावत।
नेहरू अस्पताल मरीजों की जबर्दस्त भीड़। 

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अजमेर जिला प्रशासन ने लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जो नीति अपनाई है उस पर मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और पुष्कर से भाजपा के विधायक सुरेश रावत ने कड़ा ऐतराज जताया है। मेयर गहलोत ने कहा कि 12 अप्रैल को दरगाह क्षेत्र में जिस तरह सरकारी कार्मिकों का स्वागत हुआ, उसमें सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधानों की जमकर धज्जियां उड़ी, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने कोई ऐतराज नहीं जताया।  जबकि 9 अप्रैल को कलेक्ट्रेट पर भाजपा और कांग्रेस के पार्षद सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना करते हुए कलेक्टर से मिलने पहुंचे तो पुलिस ने हिरासत में ले लिया। जबकि पार्षदगण तो लॉकडाउन में जरुरतमंद लोगों को फूड पैकेट उपलब्ध करवाने के लिए कलेक्टर से मिलने गए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी लॉकडाउन में जनप्रतिनिधियों के काम करने को छूट दी है। गहलोत ने कहा कि उन्हें सरकारी कार्मिकों के स्वागत पर कोई ऐतराज नहीं है। जिन विपरीत परिस्थितियों में पुलिस चिकित्सा, स्वास्थ्य, सफाई आदि विभागों के कर्मचारी अपनी ड्यूटी दे रहे हैं, उसमें स्वागत होना ही चाहिए। लेकिन प्रशासन को सोशल डिस्टेंसिंग के नियम एक समान रखने चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि जो लोग स्वागत करे उन पर तो नियम लागू न हो और जो जनप्रतिनिधि गरीबों की आवाज उठाने के लिए कलेक्ट्रेट पर पहुंचे उन्हें पुलिस के डंडे के जोर पर हिरासत में ले लिया जाए। गहलोत ने कहा कि यदि पार्षदगण भी फूल मालाएं लेकर कलेक्ट्रेट तक पहुंचते तो उन्हें भी हिरासत में नहीं लिया जाता। कलेक्ट्रेट पर पहुंचने वालों में भाजपा के ही नहीं बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी के पार्षद और पूर्व विधायक भी शामिल थे, लेकिन पुलिस ने किसी भी जनप्रतिनिधि का सम्मान नहीं किया और अपने डंडे के बल पर अपमानित करने का काम किया है। मेयर गहलोत ने कहा कि दरगाह क्षेत्र में साधारण लॉकडाउन नहीं बल्कि कफ्र्यू लगा हुआ है, लेकिन इसके बावजूद भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हुआ। यहां यह उल्लेखनीय है कि 9 अप्रैल को जब भाजपा और कांग्रेस के पार्षद कलेक्ट्रेट पर एकत्रित हुए थे, तो पुलिस ने पचास से भी ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया था। प्रशासन का यह रवैया दर्शाता है कि सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर भेदभाव किया जा रहा है।
प्रशासन कांग्रेस का एजेंट:
पुष्कर से भाजपा के विधायक सुरेश रावत ने भी आरोप लगाया कि अजमेर प्रशासन कांग्रेस सरकार के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है। रावत ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में उन्हें भी नोटिस दिलवाया है। यह पूरी तरह अमर्यादित और जनप्रतिनिधियों का अपमान करने वाला कृत्य है। रावत ने कहा कि जो खाद्य सामग्री विधायक कोष से प्रशासन ने खरीदी थी, उसे ही देने के लिए वे नगर पालिका कार्यालय पहुंचे थे। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उनका अधिकार है कि वे जरुरतमंद लोगों तक खाद्य सामग्री पहुंचाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने कांग्रेस के नेताओं के दबाव में आकर मुझे नोटिस दिया है। इससे जाहिर होता है कि अजमेर प्रशासन कांग्रेस सरकार के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को विधानसभा के अगले सत्र में प्रभावी तरीके से उठाया जाएगा। मैं इस मुद्दे को विधानसभा अध्यक्ष के सामने भी रखूंगा उन्होंने कहा कि प्रशासन के अधिकारी जनप्रतिनिधियों से ऊपर नहीं हो सकते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अजमेर प्रशासन के अधिकारियों को एक विधायक के अधिकारों के बारे में पता नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा दायित्व है कि लॉकडाउन के दौरान पुष्कर के जरुरतमंद लोगों को दोनों समय पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि अफसर तो वातानुकूलित कमरों में बैठे रहते हैं, लेकिन हम जनप्रतिनिधि जनता के बीच जाकर काम करते हैं। हमें पता है कि किन क्षेत्रों में खाद्य सामग्री की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुष्कर विधानसभा क्षेत्रों में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मांग के अनुरूप खाद्य सामग्री नहीं पहुंच रही है।
प्रदेश अध्यक्ष को जानकारी दी:
पार्षद और भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ के सदस्य नीरज जैन ने बताया कि 9 अप्रैल को कलेक्ट्रेट पर हुई घटना और पुष्कर के विधायक सुरेश रावत को नोटिस दिए जाने के बारे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को अवगत कराया गया है। जैन ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर प्रशासन का यह दोहरा मापदंड है। पुष्कर में तो विधायक रावत नगर पालिका प्रशासन के आमंत्रण पर पहुंचे थे। इसी प्रकार 9 अप्रैल को कलेक्टे्रट पर जिला कलेक्टर से मिलने के लिए पार्षदगण एकत्रित हुए थे, लेकिन पार्षगणों ने मुख्य सड़क के डिवाईडर पर बैठ कर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरी तरह पालन किया। पार्षद चाहते थे कि जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर ले, लेकिन पार्षदगण दो घंटे तक डिवाईडर पर बैठे रहे, लेकिन कलेक्टर ने मुलाकात नहीं की। बाद में पुलिस अधीक्षक मौके पर आए और सभी पार्षदों को हिरासत में लेकर थाना पर ले जाया गया।
हिरासत में लेने पर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं:
वरिष्ठ वकील सत्तानारायण शर्मा ने कहा कि 9 अप्रैल को जब पचास से भी ज्यादा पार्षदों और उनके प्रतिनिधियों को हिरासत में लिया गया, तब भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं किया गया। पुलिस के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में एक ही बस में भरकर सभी पार्षदों को थाने पर ले जाया गया। उन्होंने कहा कि यदि पार्षदों को सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में लिया गया था तो थाने पर ले जाते समय भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना चाहिए था।
जेएलएन अस्पताल में भीड़:
एक ओर लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है वहीं 13 अप्रैल को जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में अस्थाई तौर पर बनाई गई कैज्युल्टी में मरीजों की जबर्दस्त भीड़ देखी गई। कोरोना वायरस के मद्देनजर पूरे जेएलएन अस्पताल को खाली करवा लिया गया है। इसलिए कैज्युल्टी को अस्थाई तौर पर कॉर्डियोलॉजी विभाग में शिफ्ट किया गया है। 13 अप्रैल को मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई। कैज्युल्टी के बाहर मरीजों की लम्बी कतार देखी गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मरीजों की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ख्याल नहीं रखा गया। हर मरीज पहले अपनी जांच पड़ताल करवाने का इच्छुक था।
(एस.पी.मित्तल) (13-04-2020)
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