क्या चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में स्पेशल कैम्प लगाकर ग्रामीणों का कोरोना टेस्ट करवाएंगे? कोविड-19 के नियमों की धज्जियाँ उड़ा कर मंत्री ने तीन पंचायत समितियों के 75 गांवों में चुनावी सभाएं की। कोरोना संक्रमित होने के बाद रघु शर्मा ने कहा कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं जांचने के लिए भर्ती हुआ हंू। अस्पताल में भी नहीं लगाया मास्क।

राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा कोरोना संक्रमित होने के बाद जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। 23 नवम्बर को अस्पताल के कमरा नम्बर 1017 में भर्ती होने के बाद रघु ने कहा कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं जांचने के लिए वे भर्ती हुए हैं। शरीर में संक्रमण का असर बहुत कम है। वे चाहते तो घर पर भी क्वारंटीन हो सकते थे, लेकिन उन्होंने सरकारी अस्पताल में ही इलाज करवाना उचित समझा। मालूम हो कि रघु शर्मा 18 से 22 नवम्बर तक अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी के दौरे पर रहे। पंचायतीराज के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में करीब 75 सभाओं को संबोधित किया। इन सभाओं में कोविड-19 के नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गई। खुद चिकित्सा मंत्री ने मास्क नहीं लगाया। चुनावी सभाओं के मंच पर भी दो गज की दूरी का ख्याल नहीं रखा। केकड़ी के हजारों ग्रामीण रघु शर्मा के सीधे सम्पर्क में आए। कई सरपंच तो रघु के साथ लगातार रहे। रघु ने अपने गले की मालाएं सैकड़ों ग्रामीणों को सम्मान पूर्वक पहनाई। चुनावी सभाओं में जो ग्रामीण रघु के सम्पर्क में आए, उनमें अब खलबली मची हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्पेशल कैम्प लगाकार उन ग्रामीणों का कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा, जो रघु के सम्पर्क में आए हैं? इस मामले में खुद रघु को पहल करनी चाहिए, क्योंकि चुनावी सभाओं में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले ग्रामीण भी बड़ी संख्या में रघु के सम्पर्क में आए हैं। कम से कम ऐसे बुजुर्ग ग्रामीण की तो जांच होनी ही चाहिए। कोरोना संक्रमण के जानकारों के अनुसार संक्रमण का असर तीन-चार दिन में महसूस होता है। ऐसे में रघु के सम्पर्क में आए ग्रामीणों की पहचान होना भी जरूरी है। यदि इस मामले में लापरवाही बरती गई तो केकड़ी में हालात बिगड़ सकते हैं। रघु शर्मा तो चिकित्सा मंत्री है, इसलिए उनका इलाज तो सरकारी खर्चें पर हो जाएगा, लेकिन सरकार को केकड़ी के ग्रामीणों की चिंता करनी चाहिए। यह माना कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की इम्युनिटी मजबूत होती है, लेकिन मामला सीधे चिकित्सा मंत्री से जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार को स्पेशल कैम्प लगवाने में गंभीरता दिखानी चाहिए। सवाल यह भी है कि आखर चुनावी सभाओं में चिकित्सा मंत्री ने मास्क क्यों नहीं लगाया? यदि रघु शर्मा मास्क लगा लेते तो आज हालात नहीं बिगड़ते। गंभीर बात तो यह है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी रघु शर्मा मास्क से परहेज कर रहे हैं। जबकि चिकित्सा विभाग पर ही मास्क के प्रति लोगों को जागरुक करने की जिम्मेदारी है। जब मास्क न लगाकर चिकित्सा मंत्री खुद ही संक्रमित हो गए हैं कि चिकित्सा विभाग की अपील का कितना असर होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2020)
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