50 दिनों में 25 ग्रामीण जिलों में कोरोना से 3 हजार 918 की मौत हुई-राजस्थान सरकार।इन्हीं 25 जिलों के मात्र 512 गांवों में 50 दिनों में 14 हजार 482 व्यक्तियों की मौत हुई-दैनिक भास्कर। मौत के आंकड़ों में इतना फर्क है तो फिर मृतक के परिवार को सहायता कैसे मिलेगी? कोरोना के दौरान लंग्स और हार्ट फेल्योर को भी कोरोना की मृत्यु माना जाए।

राजस्थान में ऐसे हजारों परिवार हैं, जिनमें कमाई करने वाले प्रमुख सदस्य की मृत्यु कोरोना काल में हो गई है। अब ऐसे परिवारों के सामने भूखों मरने की स्थिति है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदनशीलता दिखाते हुए ऐसे परिवार के लिए विशेष पैकेज जारी करने की घोषणा की है। सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार ऐसे सभी जरूरतमंद परिवारों के साथ खड़ी है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या सभी जरूरतमंद परिवार को सरकारी सहायता मिल पाएगी? यह सवाल इसलिए उठा है कि सरकार मौत के जो आंकड़े जारी कर रही है, उसमें और हकीकत के आंकड़ों में बहुत फर्क है। सरकार उन्हीं को कोरोना संक्रमण से मरा हुआ मानती है, जिनकी व्यक्तियों की मृत्यु संक्रमित रहते हुई है। संक्रमण के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु लंग्स और हार्ट फेल्योर से हो जाए तो उसे भी कोरोना से मृत्यु होना नहीं माना जाता है। ऐसे बहुत से मामले हैं, जिनमें संक्रमित व्यक्ति अस्पताल से ठीक होकर अपने घर चला गया और फिर दो चार दिन में उसकी मौत हो गई। ऐसी मौत को भी सरकार कोरोना की मौत नहीं मानती है। जबकि ऐसे व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ही होता है। सरकार किसी जिले में भले ही 24 घंटे में 4-5 मौतें स्वीकार करें, लेकिन ऐसे संबंधित जिले के श्मशान स्थलों पर रात-दिन चिताएं जलती रही हैं। 25 मई को ही दैनिक भास्कर ने प्रदेश के 25 ग्रामीण जिलों के 50 दिनों की स्थिति की रिपोर्ट प्रकाशित की है। एक अप्रैल से 20 मई की 50 दिनों की अवधि में सरकार ने इन जिलों में कोरोना संक्रमण से मात्र 3 हजार 918 मरीजों की मौत होना माना है, जबकि भास्कर के जमीनी सर्वे में इन्हीं जिलों के मात्र 512 गांवों का 50 दिनों का रिकॉर्ड देखा गया तो 14 हजार 482 ग्रामीण की मौत हुई है। इनमें से अधिकांश ग्रामीणों की मौत का कारण कोरोना संक्रमण ही है। लेकिन उनकी मौत का कारण सरकार की तकनीक में उलझ गया है। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सिर्फ सरकारी आंकड़ों के अनुरूप ही परिवारों को सहायता देते हैं तो यह उन जरूरतमंद परिवारों के साथ अन्याय होगा, जिनके मुखिया या परिवार चलाने वाले सदस्य की मौत कोरोना संक्रमण के बाद हुई है। या फिर संक्रमण के दौरान लंग्स या हार्ट फेल्योर की वजह से मौत हुई है। अच्छा हो कि कोरोना काल में हुई सभी मौतों का ईमानदारी और मेहनत के साथ सर्वे करवाया जाए और हर जरूरतमंद परिवार को मदद की जाए। सीएम गहलोत को अपने कार्मिकों से ज्यादा उस परिवार के सदस्यों पर भरोसा करना चाहिए जिन्होंने अपना प्रमुख सदस्य खोया है। सरकारी सहायता लेने के लिए कोई पिता कोई विधवा कोई बूढ़ी मां या छोटे बच्चे कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सीएम गहलोत माने या नहीं हजारों ग्रामीण तो चिकित्सा सुविधा सही समय पर नहीं मिलने से मर गए। S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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