भाजपा की पार्षद शील धाबाई को जयपुर ग्रेटर का कार्यवाहक मेयर बनाना कांग्रेस सरकार की मजबूरी है। पार्टी की अनुमति के बाद ही पद संभाला है-अरुण चतुर्वेदी। तो क्या कांग्रेस सरकार ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की शह पर धाबाई को मेयर पद पर बैठाया है? 6 जून को ही भाजपा की सौम्या गुर्जर को तीन पार्षदों के साथ निलंबित किया था।

8 जून को भाजपा की पार्षद शील धाबाई ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम के कार्यवाहक मेयर का पद ग्रहण कर लिया है। धाबाई ने यह पद तब ग्रहण किया जब 8 जून को ही भाजपा प्रदेशभर में मंडल स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। यह प्रदर्शन सौम्या गुर्जर को मेयर पद से निलंबित किए जाने के विरोध में है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने गत 6 जून को निगम के आयुक्त यज्ञ मित्र देव सिंह के साथ कथित तौर पर धक्का मुक्की करने के आरोप में सौम्या गुर्जर सहित तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया था। यानी इधर जयपुर के निगम कार्यालय में कांग्रेस सरकार के आदेश से शील धाबाई ने कार्यवाहक मेयर का पद संभाला तो उधर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने मंडल स्तर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा की ओर से नियुक्त जयपुर के प्रभारी पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा की पार्षद को कार्यवाहक मेयर बनाना कांग्रेस सरकार की मजबूरी है। 150 पार्षदों में से 88 पार्षद भाजपा के हैं तथा 6 निर्दलीय पार्षदों का भाजपा को समर्थन है। शील धाबाई भाजपा की वरिष्ठ और वफादार कार्यकर्ता हैं। संगठन की सहमति के बाद ही धाबाई ने कार्यवाहक मेयर का पद संभाला है। इस पर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की भी सहमति है। लेकिन भाजपा का सौम्या गुर्जर के निलंबन पर विरोध जारी रहेगा। कांग्रेस सरकार ने अलोकतांत्रिक तरीके से सौम्या गुर्जर को मेयर पद से हटाया है। चतुर्वेदी ने बताया कि अलवर नगर परिषद की सभापति बीना गुप्ता पर भी एक अधिकारी के साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप है। गुप्ता को सरकार की जांच में भी दोषी पाई गई, लेकिन अभी तक भी बीना गुप्ता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है, क्योंकि वे कांग्रेस पार्टी की हैं, जबकि जयपुर में बगैर जांच के ही सौम्या गुर्जर को निलंबित कर दिया गया। राजस्थान की जनता कांग्रेस के इस दोहरे चरित्र को अच्छी तरह समझती है।वसुंधरा राजे की भूमिका:सवाल उठता है कि यदि भाजपा की पार्षद को ही जयपुर ग्रेटर का मेयर बनाना था, तो फिर सौम्या गुर्जर को क्यों हटाया गया? असल में इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति भाजपा के आंतरिक झगड़ों को उजागर करने की रही। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की भाजपा के मौजूदा पदाधिकारियों से नाराजगी जगजाहिर है। गत वर्ष जब जयपुर ग्रेटर के मेयर के चयन का मामला आया तो शील धाबाई ने भी प्रबल दावेदारी जताई थी, लेकिन तब संगठन के स्तर पर सौम्या गुर्जर को मेयर बनाने का निर्णय हुआ। शील धाबाई को पूर्व सीएम राजे का समर्थक माना जाता है। कांग्रेस ने राजनीतिक चाल चलते हुए जयपुर ग्रेटर पर वसुंधरा राजे की समर्थक पार्षद को बैठा दिया है। भले ही अभी कार्यवाहक मेयर बनाया गया हो, लेकिन यदि हाईकोर्ट से सौम्या गुर्जर को कोई राहत नहीं मिली तो धाबाई को स्थायी तौर पर भी मेयर बनाया जा सकता है। इसे वसुंधरा राजे की भाजपा संगठन को लाचार दिखाने वाली कार्यवाही माना जा रहा है। धाबाई भले ही भाजपा की पार्षद हो, लेकिन अब वे कांग्रेस की मेयर की तरह काम करेंगी, क्योंकि उन्हें भाजपा ने नहीं बल्कि कांग्रेस सरकार ने मेयर बनाया है। S.P.MITTAL BLOGGER (08-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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