सोशल मीडिया पर मैन्यूप्लेटेड वीडियो पोस्ट करने वालों की अब खैर नहीं। गाजियाबाद में ट्विटर सहित सात षडय़ंत्रकर्ताओं पर एफआईआर। देशद्रोहियों की ऐसी साजिशों को समझने की जरुरत। राहुल गांधी भी अब सोच समझ कर ट्वीट करें।

देश में ऐसी ताकतें लगातार सक्रिय हैं जो साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का है। सोशल मीडिया पर इसी जून माह में एक वीडियो पोस्ट किया। उस वीडियो में कुछ लोग एक बुजुर्ग मुसलमान को पीट रहे हैं। वीडियो में कहा गया कि यह बुजुर्ग मुसलमान जय श्रीराम नहीं बोल रहा है, इसलिए पिटाई की जा रही है। वीडियो में बुजुर्ग की दाढ़ी भी काटते हुए दिखाया गया। ऐसे वीडियो से साम्प्रदायिक हिंसा भड़कना स्वाभाविक है। आग में घी डालने का काम तब होता है, जब ऐसे वीडियो पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और एआईएमआई के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी प्रतिक्रिया देते हैं। इस वीडियो से देश का माहौल खराब होता है, इससे पहले ही पुलिस ने वीडियो की सच्चाई उजागर कर दी। जांच पड़ताल में पता चला कि यह विवाद गाजियाबाद के प्रवेश गुर्जर और बुलंदशहर के बुजुर्ग अब्दुल समद का आपसी है। प्रवेश का आरोप है कि मोटी राशि लेकर समद ने जो ताबीज दिए उनका असर नहीं हुआ। उल्टे ताबीज पहनने के बाद पत्नी का गर्भपात हो गया। इसी से खफा होकर प्रवेश गुर्जर ने मारपीट की। लेकिन षडय़ंत्रकारियों ने सोशल मीडिया पर मैन्यूप्लेटेड वीडियो पोस्ट कर दिया। मूल वीडियो की आवाज बंद कर नई और भड़काने वाली आवाज डाल दी। यह वीडियो मेन्यूप्लेटेड था लेकिन फिर भी ट्विटर ने इस पर मैनू प्लेटेड का टैग नहीं लगाया। पुलिस ने अब ट्विटर सहित सात आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर ली है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे मशगूर उस्मानी, न्यूज वेबसाइट के पत्रकार मोहम्मद जुबेर, राणा जुबेर, सलमान निजामी, सबा नकवी, कांग्रेसी नेता मोहम्मद भी शामिल हैं। पुलिस ने इन सभी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 153, 153ए, 295ए, 505, 120बी, 34 लगाई गई है। एफआईआर में ट्विटर को भी नामजद किए जाने के बाद सरकार की ओर से कहा गया है कि अब ट्विटर से मध्यस्थ का दर्जा छीन लिया गया है। यानी अब भड़काऊ पोस्ट के लिए ट्विटर को भी आरोपी माना जाएगा। पूर्व में ट्विटर को निर्देश दिए गए थे कि 25 मई तक भारतीय आईटी एक्ट के नियमों का पालन किया जाए। लेकिन इन नियमों के तहत ट्विटर ने भारत में शिकायत सुनने वाला अधिकारी नियुक्त नहीं किया। न ही किसी वीडियो की सत्यता जांचने की नीति लागू की। सरकार का मानना है कि जो लोग मैन्यूप्लेटेड वीडियो पोस्ट करते हैं वो तो आरोपी हैं ही साथ ही ट्विटर जैसा सोशल मीडिया का प्लेटफार्म भी दोषी है। यानी अब सोशल मीडिया पर मैन्यूप्लेटेड वीडियो पोस्ट करने वालों की खैर नहीं है। गाजियाबाद का प्रकरण बताता है साजिशकर्ताओं ने देश का माहौल खराब करने के लिए मैन्यूप्लेटेड वीडियो पोस्ट किया। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी ने भी वीडियो की सत्यता की जांच किए बगैर प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी। ऐसे नेताओं को भी अब सोच समझ कर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष मार्च माह में विधानसभा का चुनाव होने हैं। यूपी का माहौल खराब करने के लिए ही राष्ट्र द्रोहियों की टीम सक्रिय हो गई है। देश के लोगों को ऐसे राष्ट्रद्रोहियों से सावधान रहने की जरूरत है। S.P.MITTAL BLOGGER (16-06-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...