चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की उपस्थिति में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के दिखाए जोश को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाला।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की उपस्थिति में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के दिखाए जोश को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाला। सीएम ने फिर की आईएएस समित शर्मा की प्रशंसा। सीएम ने डॉक्टरों को भी सीख दी।
5 अक्टूबर को जयपुर में एसएमएस अस्पताल में ट्रांसप्लांट सेंटर के लोकार्पण समारोह में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की उपस्थिति में जो जोश दिखाया, उसे अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को संभालना पड़ा। शायद मुख्यमंत्री को यह आभास हो गया था कि धारीवाल के कथन से रघु शर्मा नाराज होंगे। धारीवाल ने अपने संबोधन में कहा कि जयपुर के एसएमएस अस्पताल में तीन हजार बैड की सुविधा हैं, लेकिन कॉर्डियोलॉजी वार्ड में बहुत कम पलंग हैं। उन्होंने कहा कि कार्डियोलॉजी में कम से कम 200 पलंग तो होने ही चाहिए। हृदय रोग के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए जब हृदय रोग का मरीज एसएमएस में आता है तो उसे भर्ती नहीं किया जाता। धारीवाल ने कहा कि कॉर्डियोलॉजी विभाग में पलंग बढ़ाने के लिए वे हर संभव मदद करेंगे। हालांकि धारीवाल नगरीय विकास मंत्री हैं, लेकिन उनका संबोधन पूरी तरह चिकित्सा महकमे की व्यवस्थाओं पर था। समारोह में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी उपस्थित थे। शर्मा की उपस्थिति और धारीवाल के जोश को देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि धारीवाल साहब को जितनी जानकारी चिकित्सा विभाग की है उसे देखते हुए मैं सोचता हंू कि अगले मंत्रिमंडल के अगले रिशफल में धारीवाल को ही हेल्थ मिनिस्टर बना दंू। लेकिन धारीवाल हेल्थ मिनिस्टर बनना नहीं चाहेंगे, क्योंकि उन्हें यूडीएच (नगरीय विकास) में दक्षता हासिल है। धारीवाल के जोश को संभालते हुए गहलोत ने यह भी कहा कि केबिनेट मंत्री सरकार का प्रतिनिधि होता है। केबिनेट मंत्री किसी एक विभाग तक सीमित नहीं होता। यानि केबिनेट मंत्री रघु शर्मा भी चाहे तो धारीवाल के नगरीय विकास विभाग की व्यवस्थाओं पर टिप्पणी कर सकते हैं।आईएएस समित शर्मा की फिर प्रशंसा:
समारोह में सीएम अशोक गहलोत ने नि:शुल्क दवा योजना की क्रियान्विति को लेकर आईएएस डॉ. समित शर्मा की प्रशंसा की। गहलोत ने कहा कि जब मैं वर्ष 2009 से 2013 के बीच मुख्यमंत्री था, तब राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा योजना शुरू की गई। तब नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक डॉ. समित शर्मा ने पूरी ईमानदारी और मेहनत से योजना की क्रियान्विति करवाई। यही वजह रही कि तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरी इस योजना को समझने के लिए गुजरात से विशेषज्ञों की टीम भेजी। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान की नि:शुल्क दवा योजना की तर्ज पर ही देशभर में आयुषमान भारत की योजना शुरू की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत ने विधानसभा में भी समित शर्मा की कार्यकुशलता की प्रशंसा की थी। सीएम के द्वारा बार बार समित शर्मा की प्रशंसा किया जाना इसलिए मायने रखता है की पिछले दिनों चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के साथ विवाद हो जाने की वजह से समित शर्मा को चिकित्सा विभाग से हटाकर श्रम विभाग का आयुक्त बना दिया गया था। हालांकि समित शर्मा अपने स्वभाव के अनुरूप श्रम विभाग में भी मेहनत के साथ काम कर रहे हैं। लेकिन समित शर्मा को आज भी इस बात का मलाल है कि उन्हें बेवजह निशाना बनाया गया। एनएचएम में भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी, लेकिन फिर भी उन पर आरोप लगाकर चिकित्सा विभाग से हटा दिया गया।
डॉक्टरों को भी सीख:
सीएम अपने संबोधन में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी सीख दी। उन्होंने कहा कि जब कोई एक व्यक्ति किसी डॉक्टर के साथ दुव्र्यवहार करता है तो डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं। यानि एक व्यक्ति की गलती की सजा हजारों मरीजों को दी जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार कभी भी दुव्र्यवहार करने वाले व्यक्ति का साथ नहीं देती है। कानून के हिसाब से आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही होती है। उन्होंने डॉक्टरों को सलाह दी कि वे भविष्य में ऐसी घटना होने पर दो घंटे ज्यादा काम करके सरकार पर दबाव बनाए। काली पट्टी बांध कर भी अपना विरोध दर्ज करवा सकते हैं। जब आम व्यक्ति डॉक्टर को भगवान के तौर पर मानता है तो फिर डॉक्टरों को छोटी छोटी बातों पर हड़ताल नहीं करनी चाहिए।
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