सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान सज्जादानशीन जैनुअल आबेदीन ने कहा है कि जिस प्रकार मुगल, मराठा और अंग्रेज शासकों ने समाज में सूफी धर्मगुरुओं का मान-सम्मान किया, उसी प्रकार अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सूफीवाद को आगे बढ़ा रहे हैं। मोदी ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि सूफी समुदाय ही बिना धार्मिक भेदभाव के सबको साथ लेकर चल सकता है।
13 अप्रैल को अजमेर में खान का शरीफ में मुस्लिम विद्वानों और धर्मगुरुओं की एक सभा को संबोधित करते हुए दीवान आबेदीन ने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली में जो अन्र्तराष्ट्रीय सूफी कांफ्रेंस हुई, उसका पूरी दुनिया में सकारात्मक संदेश गया है।
इस पारंपरिक आयोजन में देश के प्रमुख चिश्तिया दरगाहों के सज्जादानशीन व धर्म प्रमुखों ने भाग लिया। इनमें शाह हसनी मियां नियाजी बरेली शरीफ, मोहम्मद शब्बीरूल हसन गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, अहमद निजामी दिल्ली, सैयद तुराब अली हलकट्टा शरीफ आंध्रप्रदेश, सैयद जियाउद्दीन अमेटा शरीफ गुजरात, बादशाह मियां जियाई जयपुर, सैयद बदरूद्दीन दरबारे बारिया चटगांव बंगलादेश, सहित भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ यूपी, उत्तरांचल प्रदेश से गंगोह शरीफ दरबाह साबिर पाक कलियर के अलीशाह मियां, गुलबर्गा शरीफ में स्थित ख्वाजा बंदा नवाज गेसू दराज की दरगाह के सज्जदानशीन सैयद शाह खुसरो हुसैनी, नायब सज्जादानशीन सैयद यद्दुलाह हसैनी, दरगाह सूफी कमालुद्दीन चिश्ती के सज्जानशीन गुलाम नजमी फारूकी, नागौर शरीफ के पीर अब्दुल बाकी, दिल्ली स्थित दरगाह हजरत निजामुद्दीन के सैयद मोहम्मद निजामी सहित देशभर के सज्जादगान मौजूद थे।
सूफीवाद को धर्मान्तरण की बुनियाद बताने वालों की दलीलों को खारिज करत हुए दरगाह दीवान ने कहा कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोगों को गरीब नवाज की दरगाह से सबक लेना चाहिए। ख्वाजा के दर पर हिन्दू हों या मुस्लिम या किसी भी अन्य धर्म को मानने वाले, सभी जियारत करने आते हैं। उन्होने कहा कि हजरत गरीब नवाज ने कभी भी अजमेर में इस्लाम का प्रचार-प्रसार नहीं किया। यहां उन्होंने अपने जीवन के अंत तक रहकर हिन्दू और मुसलमानों के बीच एकता कायम रखते हुए गरीब, लाचार, अपाहिजों और दुखियों की सेवा की।
सज्जादानशीन ने इस्लाम का उदारवादी चेहरा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सूफी मुसलमान हमेशा से उदारवादी हैं, जो इस्लाम की सबसे प्यारी पहचान है। सूफी परम्पराओं को लेकर आज भी इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ खड़े है इस्लाम में भी कट्टरपंथी लोगों का बोलबाला रहा है, लेकिन नरमपंथी सूफीवाद ने उन्हें हमेशा पराजित किया है इसीलिए उदारवादी मुस्लिम आज पहाड़ जैसी चुनौती का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह देश में सूफीवाद का बड़ा केंद्र हैं यहां से पूरी दुनिया में इस्लाम के शांति और भाईचारे का पैगाम जारी है। इतना ही नहीं इस्लाम के नैतिक मूल्यों को स्थापित करने और आतंकवाद के खिलाफ वैचारिक लड़ाई में सूफीवाद अहम भूमिका निभा सकता है।
आतंकवाद की आलोचना:
दीवान आबेदीन ने जेहाद के नाम पर आतंकवाद की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जेहाद के नाम पर बेगुनाहों की जान लेना बेहद ही शर्मनाक है। कुछ लोग जेहाद की आड़ में जब हत्याएं करते हैं तो पूरा इस्लाम बदनाम होता है। आज इसी प्रवृति से इस्लाम को भारी नुकसान हो रहा है। हम सबको मिलकर इन साजिशों का पर्दाफाश करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल) (13-04-2016)
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