पीएम नरेन्द्र मोदी की 31 मई की अजमेर यात्रा स्थगित। पीएमओ को लेकर ऐसी गलफलत ठीक नहीं। क्या पहले पता नहीं था कि राज्यसभा के चुनाव हो रहे हैं?
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पीएम नरेन्द्र मोदी की 31 मई की अजमेर यात्रा स्थगित।
पीएमओ को लेकर ऐसी गलफलत ठीक नहीं।
क्या पहले पता नहीं था कि राज्यसभा के चुनाव हो रहे हैं?
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27 मई को जिन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अजमेर यात्रा स्थगित हुई, उसे किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता। जब हम यह दावा करते हैं कि नरेन्द्र मोदी पिछले प्रधानमंत्रियों से अलग हटकर हंै तो फिर मोदी का काम काज भी वैसा ही होना चाहिए। 31 मई को अजमेर में पीएम सभा होनी है, इसकी घोषणा के बाद 26 मई को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी के नेतृत्व में राज्य सरकार के पांच मंत्रियों ने अजमेर में डेरा जमा लिया। दिन भर की मशक्कत के बाद यह निर्णय हुआ कि 31 मई को पीएम की सभा कायड़ विश्राम स्थली पर होगी। पीडब्ल्यूडी मंत्री यूनुस खान तो देर रात तक सभा स्थल पर बैठकर पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों से तैयारियां करवाते रहे। इतना ही नहीं प्रदेशभर से लोगों को अजमेर लाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गई। देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने तो पुष्कर और किशनगढ़ में कार्यकर्ताओं की बैठक भी कर ली। भाजपा के प्रदेश भारी अविनाश राय खन्ना भी दिल्ली से जयपुर आ गए। प्रधानमंत्री की सभा को देखते हुए। शहर भर में सुरक्षा के इंतजाम भी शुरू कर दिए गए। ऐसा कोई कारण नहीं था कि जिसकी वजह से पीएम की यात्रा स्थगित हो, लेकिन 27 मई को जिस तरह से यात्रा टालने का निर्णय लिया, उससे प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे अधिकारी पीएम के कार्यक्रमों को तय करने में गंभीरता नहीं बरतते हैं। अब कहा जा रहा है कि राज्यसभा के चुनाव की वजह से पीएम की यात्रा स्थगित की गई है। सवाल उठता है कि क्या राज्यसभा के चुनाव के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को पहले पता नहीं था? राज्यसभा के चुनाव का कार्यक्रम तो 10 दिन पहले घोषित हो गया था, जबकि पीएम की यात्रा की घोषणा 25 मई की रात को यानि जब पीएम की यात्रा घोषणा की गई तो यह पता था कि राज्यसभा के चुनाव भी होने हैं। यदि यह चुनाव अड़चन थी तो फिर 25 मई को पीएम की यात्रा की घोषणा क्यों की गई? यात्रा की घोषणा अधिकृत थी, इसलिए तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष परनामी पांच मंत्रियों के साथ दिन भर भीषण गर्मी में इधर-उधर घूमते रहे। राजनेताओं के कार्यक्रमों में फेरबदल होना सामान्य बात है, लेकिन यह बात नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री पर लागू नहीं होती। सब जानते हैं कि मोदी को खूंखार आतंकवादियों से भी खतरा है। एसे में मोदी के कार्यक्रम ठोस तरीके से होने चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय में जो अधिकारी बैठे हैं, उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे सभी परिस्थितियों का अध्ययन करते हुए मोदी के कार्यक्रम तय करें। जब हम यह दावा करते हैं कि नरेन्द्र मोदी पिछले प्रधानमंत्रियों से अलग हैं तो फिर हमें ऐसा प्रदर्शित भी करना चाहिए। यह बात कोई मायने नहीं रखती कि मोदी का दौरा रद्द नहीं स्थगित हुआ है। देश के प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित होना भी खास मायने रखता है।
(एस.पी. मित्तल) (27-05-2016)
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