बाबू दिनेश शर्मा की आत्महत्या की आड़ में क्या शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ हो रही है राजनीतिक साजिश?
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पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर कांग्रेस के निशाने पर रहे राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के खिलाफ क्या अब राजनीतिक साजिश हो रही है? क्या इस साजिश में देवनानी की अपनी पार्टी के नेता भी शामिल है? यह सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि शिक्षा विभाग के बाबू दिनेश शर्मा की आत्महत्या के मामले को लेकर देवनानी को ही सीधा निशाना बनाया जा रहा है। सब जानते हैं कि हाल ही में पाठ्य पुस्तकों में महाराणा प्रताप जैसे सूरवीरों की जीवनी को शामिल करने को लेकर देवनानी कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं। जयपुर से लेकर दिल्ली तक में देवनानी के खिलाफ मोर्चा खोला गया।
इस बीच कोटपुतली के स्कूल में कार्यरत बाबू दिनेश शर्मा की आत्महत्या का मामला हो गया। मरने से एक दिन पहले दिनेश शर्मा ने जो सुसाइड नोट लिखा उसमें देवनानी के पीए शिवशंकर शर्मा को 16 लाख 50 हजार रुपए देने की बात कही गई है। विरोधियों को देवनानी के खिलाफ नए सिरे से हमला करने का अवसर मिल गया। इस संबंध में देवनानी ने स्वीकार किया है कि शिव शंकर उनके पीए हैं और पीए के रूप में राज्य सरकार से अनुमोदन भी हो रखा है, लेकिन आज तक भी शिवशंकर के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और पुलिस जांच कर रही है। ऐसे में उनका कुछ कहना उचित नहीं होगा। जांच प्रभावी और निष्पक्ष हो इसके लिए उन्होंने गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को पत्र भी लिखा है। वे स्वयं भी चाहते हैं कि इस पूरे मामले की जांच प्रभावी तरीके से हो। दिनेश शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में यह लिखा है कि कथित तौर पर राशि दिए जाने के बाद भी तबादले नहीं हुए। शर्मा के इस कथन से यह प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग में रिश्वत देकर तबादले नहीं हो रहे हैं। राशि देने क आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
मृतक के दो चैक बाउंस
कोटपुतली पुलिस ने अब तक इस मामले में जो जांच की है, उससे पता चलता है कि मृतक दिनेश शर्मा के दो चेक बाउंस हो चुके थे। दिनेश लोगों से धनराशि उधार लेने का आदि था। दिनेश का विभाग के अधिकारियों से भी विवाद बना रहता था। इसलिए दो बार दिनेश शर्मा को निलंबित भी किया गया। मृतक ने भले ही सुसाइड नोट में शिवशंकर के नाम का उल्लेख किया है, लेकिन अब तक की जांच में यह पता चला है कि शिवशंकर और दिनेश के बीच कभी भी मोबाइल फोन पर संवाद नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री ने भी की प्रशंसा:
देवनानी ने शिक्षा विभाग में जो पदोन्नति का अभियान चलाया, उसकी प्रशंसा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी की है। पिछले कई वर्षों से शिक्षा विभाग ने पदोन्नति हो ही नहीं पा रही थी। इसका मुख्य कारण विभाग में वरिष्ठता सूची का नहीं बनना था। देवननी ने तृतीय श्रेणी से द्वितीय, द्वितीय से लेक्चरार और फिर प्रधानाध्यापक तक की पदोन्नति का काम अभियान चलाकर किया। पदोन्नत हुए शिक्षकों को भी काउंसलिंग के जरिए नियुक्ति दी गई। शिक्षक संघों के प्रतिनिधि भी यह मानते हैं कि देवनानी ने प्रदेशभर के शिक्षकों के हित में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
भाजपा में भी है नाराज:
देवनानी की कार्यशैली से भाजपा में भी देवनानी के प्रति कुछ नाराजगी है। अजमेर जिले का प्रभारी मंत्री होने के नाते देवनानी ने जिस तरह जिला प्रमुख और फिर नगर निगम के मेयर के चुनाव में एक तरफा निर्णय लिए उससे भाजपा के कई नेता खफा हैं। हालांकि अब देवनानी अजमेर के प्रभारी मंत्री नहीं हैं, लेकिन कुछ नेताओं में नाराजगी अभी भी बनी हुई है। ऐसे नेता खुलकर तो सामने नहंी आ रहे, लेकिन इस बात से खुश है कि दिनेश शर्मा के आत्महत्या के प्रकरण में देवनानी के पीए शिवशंकर का नाम सामने आ रहा है।
(एस.पी. मित्तल) (28-05-2016)
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