राजस्थान में सचिन पायलट की हिम्मत की दाद देनी होगी। भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध न जीते, इसलिए उद्योगपति कमल मोरारका का राज्यसभा चुनाव में नामांकन करवाया।
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राज्यसभा चुनाव के नामांकन के अंतिम दिन 31 मई को राजस्थान से उद्योगपति कमल मोरारका ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया। यानि अब चुनाव में मतदान होगा ही। मोरारका की उम्मीदवारी के पीछे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की रणनीति रही है। इस रणनीति के लिए पायलट की हिम्मत को दाद मिलनी ही चाहिए। पायलट को यह पता है कि मोरारका किसी भी स्थिति में चुनाव जीत नहीं सकते, लेकिन भाजपा के उम्मीदवारों का चुनाव निर्विरोध न हो, इसलिए मोरारका को मैदान में उतार दिया गया है। 200 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 160 विधायक हैं।
30 मई को जब भाजपा के चारों उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया, तब 4 निर्दलीय विधायक भी प्रस्तावक बने। इसके अलावा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कम से कम 3 और विधायकों का जुगाड़ कर रखा है। यह विधायक बसपा, जमींदारा पार्टी और राजपा के हो सकते हैं। कांग्रेस को मोरारका को जितवाने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। पायलट ने 31 मई को कांग्रेस के 2 विधायकों को प्रस्तावक बनवाकर मोरारका का नामांकन तो भरवा दिया, लेकिन पायलट को भी पता है कि उद्योगपति मोरारका चाहे कितना भी पैसा बहा दें, लेकिन 41 विधायकों के वोट नहीं मिल सकते हैं। इस गणित को मोरारका भी जानते हैं। लेकिन मोरारका ने भी पायलट की रणनीति का समर्थन करते हुए स्वयं की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया है। विधानसभा में कांग्रेस के तो मात्र 21 विधायक ही हैं। मोरारका की उम्मीदवारी से पायलट के लिए अब यह चुनौतिपूर्ण काम होगा कि कांग्रेस के सभी 21 विधायकों के वोट मोरारका को मिल जाएं। जिस प्रकार पायलट ने भाजपा उम्मीदवारों का निर्विरोध चुनाव रोका है, उसी प्रकार अब भाजपा के रणनीतिकारों का यह प्रयास होगा कि मोरारका को कांग्रेस के 21 वोट भी न मिले। यदि मोरारका को कांग्रेस 21 वोट नहीं मिलते हैं तो इसका सीधा असर सचिन पायलट के नेतृत्व पर पड़ेगा। अलबत्ता मोरारका की उम्मीदवारी से आगामी 10 दिनों तक राजस्थान में कांग्रेस, बसपा, जमींदारा पार्टी, राजपा और निर्दलीय विधायकों की मौज हो गई है। मालूम हो कि भाजपा ने केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, डूंगरपुर राजघराने के हर्षवर्धन सिंह और आरबीआई के सेवानिवृत अधिकारी रामकुमार वर्मा को उम्मीदवार बनाया है।
(एस.पी. मित्तल) (31-05-2016)
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