राजस्थान में भाजपा विधायकों की बाड़ाबंदी क्यों? आखिर किस बात का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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राज्यसभा के चुनाव के लिए आगामी 11 जून को मतदान होना है। लेकिन राजस्थान में भाजपा विधायकों की बाड़ाबंदी 8 जून से ही शुरू हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने सभी विधायकों से कहा कि वे 8 जून की शाम तक अजमेर रोड स्थित होटल जयपुर ग्रीन में पहुंच जाएं। विधायकों के मोबाइल फोन के उपयोग पर भी रोक लगाई गई। होटल में सुरक्षा के कड़े इंतजामों के साथ ही जैमर भी लगाए हैं। कुछ विधायकों ने बीमारी का हवाला देते हुए 8 जून को बाड़ाबंदी में पहुंचने में असमर्थता प्रकट की है, लेकिन परनामी की ओर से कोई छूट नहीं दी गई। यानि सभी विधायाकों को अनिवार्य रूप से पहुंचना ही पड़ेगा। राजस्थान से राज्यसभा के लिए चार सदस्यों का चुनाव होना है। भाजपा ने इसके लिए केन्द्रीय मंत्री वैकेंय्या नायडु, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर, राजकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 200 में से भाजपा के 160 विधायक हैं। चारों उम्मीदवारों की जीत के लिए 164 विधायकों के वोट चाहिए। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने प्रभाव से चार निर्दलीय विधायकों को भाजपा उम्मीदवार का प्रस्तावक बनवा दिया गया। ऐसे में चारों की जीत को लेकर कोई खतरा नहीं है। यदि कांग्रेस के समर्थन से उद्योगपति कमल मोरारका उम्मीदवारी नहीं जताते तो भाजपा के चारों उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध जीत जाते। मोरारका को भी पता है कि उनकी हार होगी, लेकिन फिर भी भाजपा विधायकों की बाड़ाबंदी की जा रही है। भाजपा के सामने जब भी ऐसी स्थिति आती है तो वह प्रशिक्षण शिविर के नाम पर जनप्रतिनिधियों को एकत्रित करती हैं। इस बार भी प्रशिक्षण शिविर की बात कही गई है। खबरों में कहा गया कि बाड़ाबंदी में राज्यसभा चुनाव की डमी वोटिंग भी करवाई जाएगी। यानि 11 जून से पहले वोट डालने का तरीका भी भाजपा के विधायक सीखेंगे। जिस तरह से भाजपा के विधायकों की बाड़ाबंदी की जा रही है, उससे प्रतीत होता है कि भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व को चुनौती देने वाला एक गुट है। इस गुट में घनश्याम तिवाड़ी और नरपत सिंह राजवी जैसे विधायकों को माना जा सकता है। भाजपा हाईकमान को भी पता है कि सीएम राजे के व्यवहार से अनेक विधायक नाराज हैं। जानकारों की माने तो भाजपा हाईकमान ने ओम माथुर को सोच समझ कर ही राजस्थान से उम्मीदवार बनाया है, जितने भी विधायक राजे से नाराज हंै, उन सबके वोट की जिम्मेदारी ओम माथुर को ही दी गई है। हो सकता है कि तिवाड़ी और राजवी जैसे विधायक बाड़ाबंदी में न आए, लेकिन ऐसे विधायक ओम माथुर की निगरानी में रहेेंगे। भाजपा के विधायक तो पहले से ही समझदार हैं, तो किसी प्रशिक्षण की जरुरत नहीं है। समझ में नहीं आता कि तीन दिनों तक बाड़ाबंदी में भाजपा विधायक क्या करेंगे?
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(एस.पी. मित्तल) (08-06-2016)
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