क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं है? कांग्रेस के दम पर राज्यसभा चुनाव में उद्योगपति मोरारका की उम्मीदवारी।
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क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं है? कांग्रेस के दम पर राज्यसभा चुनाव में उद्योगपति मोरारका की उम्मीदवारी।
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11 जून को राजस्थान में जब राज्य सभा के चार सदस्यों के चुनाव में मतदान के बाद वोटों की गिनती होगी तो भाजपा के उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री वैकेंय्या नायडु, राष्ट्रीय महासचिव ओम माथुर, हर्ष वर्धन सिंह और राजकुमार वर्मा की जीत हो जाएगी। असल में इन चारों भाजपा उम्मीदवारों की जीत को निर्विरोध नहीं होने देने के लिए ही कांग्रेस ने उद्योगपति कमल मोरारका को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को भी यह पता था कि मोरारका की हार तय है। राजस्थान में भाजप के 160 विधायक हैं। चारों उम्मीदवारों की जीत के लिए प्रथम वरीयता के 40-40 मत चाहिए। यह गणित कांग्रेस के सामने पहले से ही थी। लेकिन इस लोकतंत्र का मजाक ही कहा जाएगा कि मोरारका की उम्मीदवारी करवाकर चुनाव पर करोड़ों रुपए खर्च करवा दिए गए। अब भजपा के पास 160 विधायक ही नहीं बल्कि 166 विधायक हो गए हैं। चार निर्दलीय विधायक तो भाजपा उम्मीदवारों के प्रस्तावक थे और जमींदार पार्टी के दो और विधायक भाजपा की बाड़ाबंदी में आ गए हैं। ऐसे में भाजपा उम्मीदवारों को प्रथम वरीयता के 40 से भी ज्यादा वोट मिल जाएंगे।
पायलट के लिए मुसीबत:
कांग्रेस ने मोरारका को उम्मीदवार तो बनवा दिया, लेकिन अब प्रदेशाध्यक्ष पायलट के लिए यह उम्मीदवारी मुसीबत बन गई है। यदि मोरारका को कांग्रेस के सभी 21 विधायकों के वोट नहीं मिले तो यह राजनीतिक दृष्टि से पायलट की प्रतिष्ठा को खराब करने वाली घटना होगी। जहां तक भाजपा में कोई बगावत की बात है तो कांग्रेस को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि भाजपा हाईकमान ने ओम प्रकाश माथुर की उम्मरीदवारी बहुत सोच समझकर करवाई है। घनश्याम तिवाड़ी जैसे विधायक भले ही बाड़ाबंदी में शामिल न हुए हों, लेकिन तिवाड़ी का वोट भी भाजपा को ही प्राप्त होगा। निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक आमतौर पर सत्तारुढ़ पार्टी के साथ ही जाते हैं।
भाजपा की बाड़बंदी भी हास्यास्पद:
200 में से 166 विधायक साथ होने के बाद भी भाजपा को बाड़ाबंदी करनी पड़ी है। भाजपा के विधायक, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री दिग्गज नेता गत 8 जून से ही जयपुर में अजमेर रोड स्थित होटल ग्रीन में जमे हुए हंै। भाजपा ने इस बाड़ाबंदी को प्रशिक्षण शिविर का नाम दिया है। हालांकि यह भाजपा का आंतरिक मामला है, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जो विधायक डेढ़ से दो लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करता है, उसे वोट डालने का अभ्यास करवाया जा रहा है। मतदाता समझ सकते हैं कि उन्होंने कैसा विधायक चुना है।
सीएम का बढ़ेगा रुतबा:
चारों उम्मीदवारों की जीत के बाद सीएम वसुंधरा राजे का रुतबा भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में और बढ़ जाएगा। ढाई वर्ष पहले विधानसभा चुनाव में 200 में से 160 भाजपा उम्मीदवारों और फिर 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान में सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत और अब राज्यसभा चुनाव में भाजपा के चारों उम्मीदवारों की जीत के बाद सीएम राजे के राजनीतिक वजन में वृद्धि होगी। देखना है कि इस वृद्धि का लाभ प्रदेश की जनता को कितना मिलता है।
(एस.पी. मित्तल) (10-06-2016)
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