आखिर कैराना के पलायन को क्यों झुठलाया जा रहा है? ऐसी ही हरकतों से हिन्दू विहीन हो गया कश्मीर।

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उत्तर प्रदेश के शामली जिले का कैराना शहर इन दिनों देशभर में चर्चित है। इस क्षेत्र के भाजपा सांसद ने 346 ऐसे परिवारों की सूची जारी की है जो आतंक और डर की वजह से कैराना छोड़कर भाग गए। भाजपा के नेताओं का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ आदतन अपराधियों की धमकियों की वजह से हिन्दू परिवारों को कैराना छोडऩा पड़ा है। ऐसी रिपोर्ट आते ही कुछ न्यूज चैनल अब कैराना के पलायन को ही झुठलाने में लग गए हैं। 13 जून को एनडीटीवी चैनल ने ग्राउंड जीरो वाली एक रिपोर्ट पेश की। स्टूडियो मे निधि कुलपति बैठी तो हिमांशु शेखर मिश्रा की मौके से रिपोर्ट दिखाई गई। इस रिपोर्ट में एनडीटीवी के संवाददाता ने स्वीकार किया कि 346 परिवारों ने कैराना छोड़ दिया है। इस पर निधि ने जब यह पूछा कि क्या इसमें मुस्लिम परिवार भी हैं तो संवाददाता हिमांशु ने कहा की एक मुस्लिम परिवार भी है। यानि 346 में से 345 हिन्दू परिवार हैं, जिन्होंने भय और आतंक की वजह से कैराना छोड़ दिया। अब जब एनडीटीवी ने ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट दी है तो उसे तो गलत नहीं माना जा सकता। इसी रिपोर्ट में कैराना के एएसपी का भी बयान है। इस बयान में यह माना गया कि मुकीम काला और उसका भाई वसीम जेल से ही गैंग चला रहा है, लेकिन साथ ही एएससी ने यह भी कहा कि ऐसी गैंग गैर मुसलमानों की भी है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है। सब जानते हैं कि सपा की सरकार में कौनसी गैंग ताकतवर होती है। सवाल यह नहीं है कि मुस्लिम समुदाय की गैंग की वजह से 345 हिन्दू परिवारों ने कैराना छोड़ दिया। असल में अपराधियों की कोई जाति होती ही नहीं है। अपराधी तो अपराधी होता है, लेकिन सवाल यह है कि सरकार का संरक्षण किस गैंग को है। हो सकता है कि कैराना में हिन्दू परिवारों के पलायन के अन्य कारण भी हो, लेकिन फिर भी यह बात अपने आप में महत्त्वपूर्ण है कि एक छोटे से शहर से 346 परिवार पलायन कर गए। भले ही कुछ चैनल वाले अपने निहित स्वार्थों की खातिर पलायन को झुठलाने में लग रहे हो, लेकिन यह घटना बेहद गंभीर है। हमने देखा है कि 25 वर्ष पहले कश्मीर में भी ऐसा ही पलायन शुरू हुआ था। तब भी कहा गया कि यह आपराधिक घटना है। धीरे-धीरे कश्मीर से सभी हिन्दू परिवारों को भागना पड़ा। जो लोग आज कैराना के पलायन को झुठलाने में लगे हैं उन्हें कश्मीर के हिन्दू विहीन होने से सबक लेना चाहिए। कश्मीर से सभी हिन्दुओं के बाहर हो जाने से आज हम कश्मीर की दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। कश्मीर में पाकिस्तान से आए आतंकियों का प्रभाव ज्यादा हो गया है। इस प्रभाव को कम करने के लिए ही अब जम्मू-कश्मीर में सीएम महबूबा मुफ्ती भी चाहती हैं कि विस्थापित हिन्दू वापस कश्मीर में लौट आएं। असल में कश्मीर से हिन्दुओं के भाग जाने से हालात बहुत खराब हुए हैं। ऐसा न हो कि कैराना भी कश्मीर की तरह हिन्दू विहीन हो जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चाहिए कि जिन हिन्दू और मुसलमान परिवारों ने डर और भय की वजह से पलायन किया है, उन सभी को वापस कैराना में बसाया जाए। यदि किसी परिवार ने रोजगार के लिए पलायन किया है तो उसे कैराना में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जाए। अखिलेश यादव यह अच्छी तरह समझ लें कि जब कैराना में हिन्दू और मुसलमान सौहार्द के माहौल में रहेंगे तभी सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में खुशहाली होगी। कुछ लोग कैराना की घटना को अगले वर्ष यूपी में होने वाले चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। यह घटना भले ही चुनावी मुद्दा बने, लेकिन पलायन करने वाले परिवारों को वापस कैराना में बसाना चाहिए। ऐसा न हो कि इस मुद्दे पर भी वोट बटोर लिए जाए और फिर भी पलायन करने वाले परिवार कैराना में न आए। जो लोग वोट चाहते हैं, उन्हें कैराना से भय और आतंक का वातावरण भी समाप्त करना होगा।
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(एस.पी. मित्तल) (14-06-2016)
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