ख्वाजा साहब की दरगाह की तरह जमीन पर भी दिखनी चाहिए कौमी एकता।

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19 जून की शाम को अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिमों की रजिस्टर्ड संस्था अंजुमन यादगार चिश्तिया शेख जादगान की ओर से रोजा अफ्तार का कार्यक्रम हुआ। हालांकि रमजान माह में मुस्लिम भाईयों की तरह हिन्दू समुदाय के लोग रोजा (व्रत) नहीं रखते, लेकिन अंजुमन के पदाधिकारियों ने हिन्दू भाईयों को भी मुस्लिम परम्परा के अनुरुप रोजा खोलने की रस्म करवाई। अंजुमन के बुलाने पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व विधायक डॉ.श्रीगोपाल बाहेती, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन आदि ने मुस्लिम भाईयों के साथ एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलने की रस्म में भाग लिया। कौमी एकता के इस समारोह में मैं भी उपस्थित था। मैंने देखा कि अंजुमन के अध्यक्ष आरिफ चिश्ती, सचिव हफीर्जुररहमान, संयोजक नसीम अहमद चिश्ती आदि ने सभी मेहमानों के सिर पर पूरी अकीदत के साथ हल्के गुलाबी रंग की पगड़ी बांधी। जब सभी लोग पगड़ी बांधकर रोजा इफ्तार के लिए एक कतार में बैठे हुए थे तब यह पता ही नहीं चल रहा था कि कौन हिन्दू और कौन मुसलमान है। जहां अंजुमन के पदाधिकारियों ने हिन्दुओं के प्रति अकीदत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो वहीं हिन्दुओं ने भी पूरी सिद्दत के साथ रोजा इफ्तार की रस्म में भाग लिया। मैंने देखा कि जब तोप की आवाज आने पर मुस्लिम भाई दुआ कर रहे थे तब जिला कलेक्टर गोयल भी दोनों हाथ उठाकर अपने जिले में अमन चैन की मांग कर रहे थे। इतना ही नहीं इफ्तारी के समय कलेक्टर ने दोने में आई खीर को ऐसे खाया, जैसे किसी मंदिर में मिले प्रसाद का सेवन कर रहे हों। इफ्तारी में ही अंजुमन के पदाधिकारियों ने कलेक्टर के सामने समस्याएं भी रखी तो कलेक्टर ने कहा कि इफ्तारी के बाद में स्वयं मौका देखने चलूंगा। यानि जिले के सर्वोच्च अधिकारी ने रोजा इफ्तार के कार्यक्रम में मुस्लिम परम्पराओं को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरगाह के खादिम भी स्वीकार करते है कि यहां बड़ी संख्या में हिन्दू भी जियारत करने के लिए आते है। इसलिए ख्वाजा साहब की दरगाह को दुनिया में कौमी एकता का सबसे बड़ा स्थान माना जाता है। जिस प्रकार मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि रमजान माह में दरगाह परिसर में रोजा इफ्तार के कार्यक्रम करते है, उसी प्रकार हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधि भी सार्वजनिक स्थलों पर मुस्लिम भाईयों के लिए रोजा इफ्तार करते है। 16 जून को ही बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन ने भी रोजा इफ्तार का कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम में राज्य के डीजीपी मनोज भट्ट ने भी भाग लिया। सवाल उठता है कि जब ख्वाजा साहब की दरगाह में कौमी एकता नजर आती है तो फिर कई मौकों पर देश के अनेक हिस्सों में साम्प्रदायिक तनाव क्यों होते हैं? आज देश में सबसे बड़ा खतरा साम्प्रदायिकता का है। इसकी वजह से ही देश में आतंकवादी वारदातें हो रही हैं और अब तो आईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठन की भी आवाज सुनाई देने लगी है। जो लोग अपने स्वार्थो की वजह से देश के अनेक हिस्सों में माहौल को खराब करने वाला काम करते हंै। उन्हें रमजान माह में ख्वाजा साहब की दरगाह में आकर कौमी एकता का मंजर देखना चाहिए। इन दिनों दरगाह में जो सद्भावना का माहौल है उसकी रोशनी देशभर में फैलनी चाहिए।
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(एस.पी. मित्तल) (20-06-2016)
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