तो क्या उमर अब्दुल्ला आठ जवानों की मौत पर खुश हैं? महबूबा के बयान को मजबूती मिलनी चाहिए।

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27 जून को जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने वर्तमान सीएम महबूबा मुफ्ती के उस बयान की आलोचना की है, जिसमें महबूबा ने सीआरपीएफ के आठ जवानों की मौत पर स्वयं को शर्मिंदा होने की बात कही थी। तो क्या उमर अब्दुल्ला आठ जवानों की मौत से खुश हैंं? माना कि विपक्ष में रहते हुए महबूबा कश्मीर के अलगाववादियों के समर्थन में बयान देतीं रहीं थीं, लेकिन जब 25 जून को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस पर हमला कर आठ जवानों को शहीद कर दिया तो महबूबा मुफ्ती ने एक सच्चे मुसलमान का धर्म निभाते हुए कहा कि उन्हें मुस्लिम होने पर शर्मिंदगी है। महबूबा का कहना था कि जवानों को मारकर आतंकियों को कुछ भी हासिल नहीं होगा। महबूबा का यह भी कहना रहा कि आतंकियों की इस हरकत से कश्मीर और इस्लाम धर्म दोनों बदनाम हो रहे हैं। उमर अब्दुल्ला जब खुद सीएम थे, तो आतंकी वारदातों पर इसी तरह के बयान देते थे। सीएम रहते हुए उमर ने कभी भी हमारे जवानों की शहादत पर जश्न नहीं मनाया। सवाल उठता है कि अब जब महबूबा मुफ्ती आतंकवाद का खुलकर विरोध कर रही हैं तो उमर अब्दुल्ला आतंकवाद के समर्थन में क्यों खड़े हैं? क्या जिस दृढ़ता के साथ महबूबा ने आतंकियों की आलोचना की है, उसी प्रकार उमर अब्दुल्ला नहीं कर सकते? उमर अब्दुल्ला को यह समझना चाहिए कि आज कश्मीर के जो हालात हैं, उसमें उनके खानदान की भी नीतियां और भूमिका रही है। उमर के दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारुख अब्दुल्ला भी कश्मीर के लम्बे समय तक सीएम रह चुके हैं। खुद उमर भी दो बार कश्मीर के सीएम रहे हैं। यदि उमर अब्दुल्ला वाकई कश्मीर और भारत से प्रेम करते हैं तो उन्हें वर्तमान हालातों में महबूबा मुफ्ती के बयान का समर्थन करना चाहिए। यह तो सकारात्मक संकेत हैं कि महबूबा अब अलगाववादियों के बजाए कश्मीर और अपने देश भारत के साथ खड़ी नजर आरही है। उमर अब्दुल्ला को ही नहीं बल्कि तमाम कश्मीरियों को एकजुट होकर महबूबा मुफ्ती का साथ देना चाहिए। कश्मीर दोबारा से तभी स्वर्ग बन सकता है, जब आतंकवाद समाप्त होगा और आतंकवाद महबूबा मुफ्ती की वर्तमान सोच से ही समाप्त हो सकता है। अच्छा हो कि महबूबा उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं की आलोचनाओं की परवाह किए बगैर दृढ़ता के साथ आतंकियों को कुचलने का काम करें। यदि महबूबा ऐसा करती हैं तो उन्हें पूरे देश का समर्थन मिलेगा।
आतंकियों को समर्थन:
25 जून को आतंकी हमले के मद्देनजर अब एक वीडियो उजागर हुआ है, इस वीडियो में पाकिस्तान से आए आतंकियों को गोला-बारुद और एके-47 के साथ कश्मीर के जंगलों में घूमता हुआ दिखाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि इन आतंकियों को कश्मीर के ही कुछ लोगों का समर्थन हासिल हैं। इस समर्थन की वजह से ही आतंकी हमारे जवानों पर घात लगाकर हमला करते हैं।
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(एस.पी. मित्तल) (27-06-2016)
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