तो क्या शहर भर में चलेगा स्थाई अतिक्रमण हटाने का अभियान? या फिर सीएम वाले रोड ही चमचमाएंगे।

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इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के युवा कलेक्टर गौरव गोयल ने सख्त रवैया अपनाते हुए शहर के मेडिकल कॉलेज चौराहे से लेकर बजरंगगढ़ चौराहे तक के स्थाई अतिक्रमण हटाने का काम शुरू कर दिया है। जेएलएन अस्पताल के सामने वाले इस मार्ग पर अधिकांश दुकानें मेडिकल स्टोर हंै, इन्हें खुले बरामदों को कवर कर दुकानें बना ली गई थी, लेकिन अब बड़े पैमाने पर तोडफ़ोड़ कर बरामदों को फिर से खुला किया जा रहा है। यदि कलेक्टर के डंडे का असर न हो तो कोई भी दुकानदार पक्की दुकान को तोड़कर खुला बरामदा नहीं बनाएगा। कलेक्टर ने यह कवायद तब की है, जब शहर भर में स्थाई अवैध निर्माणों को मंजूर करने का अभियान नगर निगम ने चला रखा है। जिन अवैध निर्माणों को तोडऩे के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं, उन्हें भी किसी न किसी रास्ते से नियमित किया जा रहा है। यानि एक ओर नगर निगम शहरभर में अवैध निर्माणों को मंजूरी दे रहा है तो दूसरी ओर तीस-तीस बरस पुरानी दुकानों को तोड़कर बरामदे बनाए जा रहे हैं। इसे मेडिकल स्टोर वालों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उनकी अवैध दुकानें उस मार्ग पर हैं, जहां से राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे गुजरेंगी। ऐसा नहीं कि जेएलएन अस्पताल के सामने के दुकानदारों ने ही बरामदों को दुकानों का रूप दिया है, कचहरी रोड, मदारगेट, नया बाजार, नला बाजार, केसरगंज, स्टेशन रोड आदि प्रमुख बाजारों में भी बरामदे ही नहीं बल्कि निगम की सड़क पर पक्की दुकानें बना ली गई हंै। इसलिए यह सवाल उठा है कि कलेक्टर ने जो अभियान अस्पताल वाले मार्ग पर चलाया है क्या वह शहर भर में चलेगा?
सीएम वाला रोड:
असल में जेएलएन अस्पताल वाले मार्ग को अब सीएम वसुंधरा राजे वाला मार्ग कहा जाने लगा है। आगामी 15 अगस्त को अजमेर में राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह होना है। सीएम राजे स्वयं 13, 14 और 15 अगस्त तक अजमेर में ही रहेंगी। राज्य स्तरीय समारोह के अधिकांश आयोजन पटेल मैदान, आनासागर के किनारे बारादरी और सर्किट हाउस पर होंगे। इसलिए सीएम राजे जेएलएन अस्पताल वाले मार्ग से 3 दिन में तीस बार गुजर सकती हैं। इसलिए इसी मार्ग को चमकाया जा रहा है। पता नहीं कि जिला प्रशासन सीएम राजे को मदार गेट, नला बाजार, नया बाजार, कचहरी रोड, केसरगंज आदि के बजारों में भी ले जाएगा या नहीं? अलबत्ता सीएम वाले मार्ग के दुकानदारों की इन दिनों शामत आई हुई है। इतना डर है कि अदालत में स्टे के लिए जो वाद दायर किया गया था, उसे भी वापस ले लिया गया है।
शहरवासी हैं खुश:
कलेक्टर गोयल ने सीएम वाले मार्ग पर जिस तरह सख्ती दिखाई है, उससे शहरवासी खुश हैं। असल में बाजारों में स्थाई और अस्थाई अतिक्रमणों से नागरिकों का पैदल चलना भी मुश्किल है। ऐसे में यदि स्थाई अतिक्रमणों का शहर भर से हटाया जाता है तो कलेक्टर गोयल को शाबाशी मिलनी ही चाहिए। लेकिन यदि सिर्फ सीएम वाले मार्ग को ही अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है तो यह फिर भेदभाव ही कहा जाएगा। प्रशासन का मकसद सिर्फ सीएम को खुश करना ही नहीं होना चाहिए।
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(एस.पी. मित्तल) (01-07-2016)
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