जाकिर नाईक की स्काइप पर प्रेस कॉन्फ्रेंस। फ्रांस में आतंकी हमले से हम घबराए। कश्मीर पर 19 को पाकिस्तान में काला दिवस। आखिर किधर जा रहा है हमारा धर्मनिरपेक्ष भारत।

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जाकिर नाईक की स्काइप पर प्रेस कॉन्फ्रेंस।
फ्रांस में आतंकी हमले से हम घबराए।
कश्मीर पर 19 को पाकिस्तान में काला दिवस।
आखिर किधर जा रहा है हमारा धर्मनिरपेक्ष भारत।
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धर्म निरपेक्ष राष्ट्र का मतलब तो यही है कि सभी धर्मों के लोग एक दूसरे का सम्मान करते हुए अमन चैन और सुख शांति के साथ रहे। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि दुनिया के किसी भी देश में आतंकी हमला हो तो उसका सीधा असर हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत पर पड़ता है। 15 जुलाई को तीन प्रमुख घटनाएं हुई। इन तीनों का सीधा असर भारत पर पड़ा।
विवादस्पाद मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. जाकिर नाईक ने साऊदी अरब में बैठक कर स्काइप तकनीक से मुम्बई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। यानि जिस जाकिर नाईक को लेकर भारत में बबाल मचा हुआ है, वह हमें चिढ़ाने के लिए साऊदी अरब से ही कॉन्फ्रेंस कर रहा है। क्या यह धर्मनिरपेक्ष भारत के कानून का मजाक उड़ाना नहीं है? जिस धर्मगुरु के विचारों से मुस्लिम युवक आतंकी बनने की प्रेरणा लेते हों, वह धर्मगुरु अपने ही देश में आने के बजाए दूसरे देश से भारत के मीडिया को लाइव संबोधित कर रहा है। और देखिए हमारे ये राष्ट्रभक्त न्यूज चैनल वाले स्काइप पर होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी लाइव प्रसारण कर रहे हैं। क्या जाकिर नाईक को इस तरह पेश किया जाना जरूरी था? मुझे पता है कि अभिव्यक्ति की आजादी के हिमायती बार-बार यह दावा करेंगे कि डॉ. जाकिर नाईक को अपना पक्ष रखने का हक है। ऐसे हिमायती माने या नहीं, लेकिन यह सिर्फ धर्मनिरपेक्ष भारत में ही संभव है। यदि जाकिर नाईक किसी दूसरे देश में ऐसा करते तो उन्हें कभी भी इजाजत नहीं मिलती। हमें यह सोचना चाहिए कि आखिर क्या मजबूरी हैं कि जिसकी वजह से जाकिर नाईक साऊदी अरब में बैठ कर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का हक रखता है।
दूसरी बड़ी घटना फ्रांस के नीस शहर में एक आतंकी ट्रक से कुचल कर मरे 84 लोगों की है। घटना फ्रांस में हुई है, लेकिन इसका असर धर्मनिरपेक्ष भारत पर पड़ा है। हम इतने घबराए कि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक करनी पड़ी। और फिर केन्द्र सरकार ने पूरे देश में हाईअलर्ट घोषित कर दिया। यहां भी यह सवाल उठता है कि फ्रांस के आतंकी हमले की घटना से हम क्यों घबरा रहे हैं? क्या यह घबराहट इसलिए है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है?
कश्मीर में पिछले दस दिनों से हमारे जवानों पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके जा रहे हैं, इसके विपरीत पाकिस्तान को लगता है कि कश्मीर मुद्दे पर भारत का रुख गैर जिम्मेदाराना है। और इसीलिए आगामी 19 जुलाई को पाकिस्तान में काला दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई है। पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 15 जुलाई को एक बैठक में यह भी निर्णय लिया कि पाकिस्तान की संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर भारत के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया जाएगा। पाकिस्तान भी कश्मीर की घटनाओं को इसीलिए मुद्दा बना रहा है कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। पाकिस्तान के पड़ौस में चीन भी है। चीन ने तो देश की प्रमुख मस्जिदों में नमाज पढऩे पर भी रोक लगा रखी है, लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी चीन की निंदा नहीं की। और न ही कोई काला दिवस मनाया। सब जानते हैं कि दुनियाभर में इस समय कट्टरपंथी संगठन आईएस का आतंक बढता जा रहा है। आईएस की विचारधारा में मोहम्मद साहब को एक इंसान माना जाता है। जबकि भारत में सूफीवाद का भी मुसलमानों पर खासा असर है। अनेक बार यह बात सामने आई है कि आतंकवाद का मुकाबला सूफीवाद से ही किया जा सकता है। अब समय आ गया है, जब सूफीवाद को मानने वाले लोग खुलकर सामने आएं।

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(एस.पी. मित्तल) (15-07-2016)
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