राजस्थान के युवाओं की आकांक्षाओं पर खरे उतरे लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ललित के पंवार। सरकार द्वारा बताई गई भर्तियों का काम पूरा।
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आईएएस की नौकरी से रिटायर होने के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बने ललित के.पंवार युवाओं की आकांक्षाओं पर खरे उतरे हैं। 10 अगस्त को अध्यक्ष का पद संभाले एक वर्ष पूरा हो जाएगा। एक वर्ष पहले जब पंवार ने पद संभाला था, तब आयोग की प्रतिष्ठा पूरी तरह धूमिल थी और भर्तियों के काम का अंबार लगा हुआ था, लेकिन पंवार ने अपने आईएएस के अनुभव से जो काम किया, उसी का नतीजा है कि अप्रैल 2017 में आयोग के पास भर्ती का कोई काम बकाया नहीं रहेगा। आयोग भर्ती का काम तभी करता है, जब सरकार से कोई प्रस्ताव प्राप्त होता है। यदि राज्य सरकार ने अगले दो तीन माह में भर्ती का नया प्रस्ताव नहीं दिया तो फिर अप्रैल में आयोग के सदस्य और अधिकारी ठाले बैठे रहेंगे। इस एक वर्ष में पंवार ने न केवल बेरोजगारों का भरोसा कायम किया है, बल्कि परीक्षा प्रणाली में नई तकनीक का उपयोग कर काम को गति प्रदान की है। आरएएस परीक्षा की ओएमआर शीट कम्प्यूटर से जंचवा कर पंवार ने आयोग को देश में पहले स्थान पर खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यही चाहते थे कि परीक्षर्थियों की उत्तर पुस्तिका कम्प्यूटर पर जंचे, ताकि शंका की कोई गुंजाइश न रहे। पंवार ने पुराने सड़े-गले सिस्टम को उखाड़ा और आईटी के नए सिस्टम को लागू किया। जिन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच परीक्षक से करवाना जरूरी था, उन उत्तर पुस्तिकाओं के लिए प्रदेशभर के चुनिंदा परीक्षकों को आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय पर बुलाया। दिनभर के डेढ़ हजार रुपए की बजाए तीन हजार रुपए का पारिश्रमिक दिया। आने जाने का यात्रा व्यय और अजमेर में आवास व भोजन की व्यवस्था भी आयोग की ओर से की गई। इतनी सुविधा मिलने पर परीक्षक ने भी उत्साह के साथ काम किया।
पंवार ने बताया कि आयोग का सालाना खर्च 25 करोड़ रुपए का है। जबकि आयोग को परीक्षाओं के शुल्क के रूप में करीब 53 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं। लेकिन अपने वित्तीय खर्चों के लिए आयोग को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। उनका मानना है कि जिस प्रकार हाईकोर्ट को वित्तीय स्वतंत्रता है, उसी प्रकार आयोग को भी होनी चाहिए। इस संबंध में पिछले दिनों ही उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री राजे से हुई है। मुख्यमंत्री वित्तीय स्वतंत्रता देने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत हैं।
पंवार ने बताया कि जिन 70 परीक्षार्थियों को परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करते पकड़ा गया। उन सभी को हमेशा के लिए प्रतियोगी परीक्षा से वंचित कर दिया गया है। इस प्रकार अनेक परीक्षाकों को भी काली सूची में डाला गया है। पंवार ने कहा कि मैंने अपना कर्म किया है। लेकिन परिणाम ईश्वर ने दिया है। उनका परमपिता परमेश्वर पर पूरा भरोसा है। इसलिए उन्हें आयोग में सफलता हासिल हुई है। इन दिनों आयोग में आरएएस 2013 की परीक्षा के साक्षात्कार चल रहे हैं। आयोग के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब पांच बोर्ड एक साथ साक्षात्कार ले रहे हंै। अब तक चार बोर्ड का ही रिकॉर्ड रहा है। वह स्वयं भी साक्षात्कार के बोर्ड में शामिल होते हैं। आयोग में जो भी शिकायतकर्ता आता है,उससे वे स्वयं मिलते हैं। इसलिए अब आयोग के मुख्यलय के बाहर धरना प्रदर्शन भी नहीं होते हैं। सौ सुनार की एक लुहार की कहावत को आगे बढ़ाते हुए उनका कहना है कि बाकी पंवार की, नीति पर अमल किया जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल) (03-08-2016)
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