उज्जैन के मदरसों के विद्यार्थी नहीं खांएगे मिड डे मील का खाना। धार्मिक भावनाएं आहत होने का आरोप।

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मध्यप्रदेश में महाकाल की नगरी माने जाने वाले उज्जैन शहर के 56 मदरसों के विद्यार्थियों ने सरकार के मिड डे मील को खाने से मना कर दिया है। कहा जा रहा है कि जिस तरह से मिड डे मील तैयार होता है उससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। 31 जुलाई तक इस्कॉन मंदिर से जुड़ी एक स्वयं सेवी संस्था उज्जैन के सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल पहुंचाने का काम करती थी। तब मदरसों में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना था कि मिड डे मील तैयार होने के बाद इस्कॉन मंदिर में भगवान के भोग लगाया जाता है। ऐसे में इस खाद्य सामग्री को मदरसों में पढऩे वाले बच्चे नहीं खा सकते। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने अभिभावकों की नाराजगी को देखते हुए अगस्त माह में मिड डे मील को तैयार करने और स्कूलों तक पहुंचाने का काम बीआरके फूडस और मां पार्वती फूडस को ठेके पर दे दिया, लेकिन इसके बाद भी मदरसों के प्रबंधकों ने सरकार का मिड डे मिल स्वीकार नहीं किया। मदरसों के विद्यार्थियों द्वारा मिड डे मील नहीं स्वीकार ने से मध्यप्रदेश की सरकार में बैचेनी है। मुख्यमंत्री चौहान नहीं चाहते है कि छोटी सी बात को लेकर मध्यप्रदेश के मदरसे नाराज हों। इसलिए अब बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है। इसके अंतर्गत मदरसों के विद्यार्थियों के मिड डे मील को पकाने का जिम्मा मदरसों से जुड़े व्यक्तियों अथवा किसी संस्था को दिया जा सकता है। इस संबंध में मुख्यमंत्री स्वयं मदरसों से जुड़े व्यक्तियों से सम्पर्क में हैं। अभिभावकों का मानना है कि जब मदरसों से जुड़ी कोई संस्था मिड डे मील पकाएगी तो फिर मदरसों में पढऩे वाले बच्चों की धार्मिक भावनाओं का ख्याल भी रखा जाएगा।
(एस.पी. मित्तल) (06-08-2016)
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