तो क्या धौलपुर राज घराने की सीलिंग में आई 800 बीघा जमीन का कब्जा भी ले ली वसुंधरा राजे सरकार। राजस्व मंडल से हाल ही में हुआ है चौंकाने वाला फैसला।
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तो क्या धौलपुर राज घराने की सीलिंग में आई 800 बीघा जमीन का कब्जा भी ले ली वसुंधरा राजे सरकार। राजस्व मंडल से हाल ही में हुआ है चौंकाने वाला फैसला।
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जयपुर राज घराने के होटल राजमहल पैलेस की पांच सौ करोड़ रुपए के मूल्य की जमीन पर जबरन कब्ला लेने का मामला इन दिनों राजस्थान की राजनीति में गरमाया हुआ है। कहा जा रहा है कि जयपुर विकास प्राधिकरण के जेडीसी शिखर अग्रवाल और सचिव पवन अरोड़ा तो मोहरे हैं। कब्जे के पीछे सीएम वसुंधरा राजे की ताकत बताई जा रही है। यह बड़ी कार्यवाही तब हुई है, जब राज घराने की दीया कुमारी भाजपा की विधायक हैं। राजे सरकार की इतनी ताकत थी की जेडीए के अफसरों ने दीया कुमारी से दुव्र्यवहार भी किया। आज वसुंधरा राजे की सरकार की ताकत की वजह से जेडीए के अधिकारी पुराने राजस्व रिकॉर्ड का हवाला देकर पांच सौ करोड़ रुपए की भूमि को अपना बता रहे हों, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या वसुंधरा राजे की सरकार धौलपुर राज घराने की 800 बीघा भूमि का कब्जा भी इसी तरह ले लेगी? सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे धौलपुर राज घराने की बहु है। राज घराने के महल को लेकर पहले भी राजे पर आरोप लगे हंै। लेकिन हाल ही में अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल से धौलपुर राज घराने के पक्ष में एक चौंकाने वाला फैसला हुआ है। चूंकि यह फैसला सीधे तौर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे पूरी तरह गोपनीय रखा गया। यहां तक किसी अखबार वाले को भी खबर लीक नहीं की गई। धौलपुर के तत्कालीन एसडीओ ने राज घराने की 1100 बीघा भूमि को सिलिंग एक्ट के दायरे में आने की वजह से सरकारी घोषित किया। बाद में इसमें से 150 बीघा भूमि को सिलिंग एक्ट से मुक्त कर दिया गया,लेकिन धौलपुर घराने के राजा राणा हेमंत सिंह ने एसडीएम के इस फैसले के खिलाफ राजस्व मंडल में अपील दायर की। इस अपील में राणा हेमंत सिंह की ओर से कहा गया कि जो 800 बीघा भूमि सिलिंग में मानी गई है। उसमें से 400 बीघा जमीन बेची जा चुकी है तथा शेष 400 बीघा भूमि हाऊसिंग सोसायटी को दी गई है। राजस्व मंडल में सिलिंग एक्ट के ऐसे कोई 300 मुकदमे लम्बित हैं। विवादों की वजह से ऐसे मुकदमों का निस्तारण हो ही नहीं रहा। चूंकि सिलिंग एक्ट के मुकदमों में करोड़ों नहीं अरबों की कीमत की भूमि है, इसलिए राजस्व मंडल बैच का रुख अधिकांश मामलों में सरकार के पक्ष में होता है।
300 मुकदमो में राणा हेमंत सिंह का मुकदमा भी बरसों से लम्बित पड़ा हुआ था, लेकिन जयपुर राज घराने को यह जानकार आश्चर्य होगा कि धौलपुर राजघराने के इस मुकदमे का फैसला हाल ही में हो गया। राजस्व मंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने सभी पक्षों को बहस सुनने के बाद मुकदमे को भरतपुर के एसडीएम को रिमांड के लिए भेजदिया। यानि राजस्व मंडल ने प्रथम दृष्ट्या यह माना कि राणा हेमंत सिंह की ओर से जो तर्क दिए गए हैं, वे सही है। मतलब की धौलपुर एसडीएम ने 800 बीघा भूमि की सिलिंग में आने का जो फैसला दिया था उस पर अब भरतपुर के एसडीएम अपना निर्णय देंगे। राजस्व मंडल मामलों के जानकारों लोगों का कहना है कि धौलपुर राजघराने की भूमि को लेकर जो निर्णय हुआ है, यदि वैसे ही निर्णय सभी लम्बित मुकदमों में हो जाए तो वसुंधरा राजे की सरकार के हाथ से अरबों-खरबों रुपए की भूमि निकल जाएगी। जो तर्क धौलपुर घराने की ओर से दिए गए वैसे ही तर्क सभी राज परिवारों और धन्नासेठों की ओर से राजस्व मंडल में दिए गए हैं, लेकिन राजस्व मंडल में शायद ही किसी मामले में मुकदमे को एसडीएम के पास रिमांड के लिए भेजा हो। चूंकि अब यह चौंकाने वाला मामला मेरे ब्लॉग के जरिए उजागर हो रहा है तो देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति में क्या हलचल होती है। इस मुकदमे की जानकारी कोई भी व्यक्ति आरटीआई कानून का इस्तेमाल कर ले सकता है। (एस.पी. मित्तल) (30-08-2016)
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