अपनी बदली ईमेज पर पानी न फेरे अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत। कथित तौर पर गणेश प्रतिमाओं को तोडऩे का मामला।
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अपनी बदली ईमेज पर पानी न फेरे अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत। कथित तौर पर गणेश प्रतिमाओं को तोडऩे का मामला।
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1 सितम्बर के अजमेर के दैनिक समाचार पत्रों में गणेश प्रतिमाओं को तोडऩे के समाचार प्रकाशित हुए हैं। आरोप है कि 31 अगस्त को मेयर धर्मेन्द्र गहलोत आनासागर किनारे बनी चौपाटी पर गए और गणेश प्रतिमाओं को बेचने वालों से उलझ गए। मेयर को बड़ी-बड़ी प्रतिमाओं के बनाने पर ऐतराज था। अजमेरवासी जानते हैं कि गहलोत दूसरी बार अजमेर के मेयर बने हैं। अपने प्रथम कार्यकाल में गहलोत की ईमेज एक उग्र नेता के रूप में सामने आई थी। बाजारों में ठेले और थड़ी वालों को मौके पर जाकर हटाते गहलोत को देखा गया। इतना ही नहीं पिछले कार्यकाल में कलेक्ट्रेट परिसर में मेयर को पुलिस के डण्डें भी खाने पड़े, लेकिन दोबारा मेयर बनने के बाद शहरवासियों ने देखा कि गहलोत में बदलाव हो गया है। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के पैर की हड्डी टुटने के कारण गहलोत को गत माह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने अपनी योग्यता दिखाने का भरपूर अवसर भी मिला। स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह के विकास कार्यो में गहलोत ने जो भूमिका निभाई, उसकी प्रशंसा कलेक्टर गौरव गोयल ने सीएम राजे के सामने भी की। सीएम ने भी इस बात पर खुशी जताई कि मेयर गहलोत में बदलाव हुआ है क्योंकि गहलोत पहली बार मेयर तभी बने थे जब राजे भी पहली बार सीएम बनी थी। व्यापारी वर्ग भी गहलोत की प्रशंसा कर रहा था कि अवैध निर्माण को तोडऩे अथवा सीज करने के नाम पर किसी को भी परेशान नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं अवैध निर्माणों पर नगर निगम प्रशासन ने आंख भी बंद कर रखी है। यानि शहरवासियों को गहलोत की ईमेज बदली हुई नजर आ रही थी। ऐसे सकारात्मक माहौल में मेयर गहलोत चौपाटी पर जाकर मूर्ति बेचने वालों से उलझ जाए तो इसे अच्छे संकेत नहीं माने जाएंगे। गहलोत को यदि बड़ी मूर्तियां बनने पर ऐतराज था तो वे निगम के किसी अधिकारी को भी भेज सकते थे। हो सकता है गहलोत किसी पार्षद के बुलावे पर चौपाटी पर गए हो। पार्षदों का रवैया कैसा है इसे गहलोत अच्छी तरह समझते है। अच्छा हों कि विवाद के समय किसी मौके पर जाने से पहले गहलोत अपने विवेक का इस्तेमाल करें। हो सकता है कि विक्रेताओं से धक्का-मुक्की के समय कोई गणेश प्रतिमा गिर कर टूट गई हो, लेकिन अब गहलोत को मूर्ति तोडऩे के आरोप का सामना करना पड़ रहा है। गंभीर बात तो यह है कि विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता ही गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। हो सकता है परिषद का विरोध भाजपा की आंतरिक खींचतान का नतीजा हो, लेकिन इससे भाजपा की ईमेज भी खराब हो रही है।
मिट्टी की प्रतिमा बने :
सवाल तीन फीट से ऊंची गणेश प्रतिमा के बनने और न बनने का नहीं है। सवाल तो गणेश प्रतिमाओं के मिट्टी से बनने का है। अभी चौपाटी पर गणेश उत्सव के लिए जो प्रतिमाएं रखी गई हैं वे सभी प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमाओं को बनाने पर रोक लगा रखी है। चूंकि गणेश उत्सव के समापन पर प्रतिमा का विसर्जन समुन्द्र के किनारे अथवा पानी के किसी कुण्ड में किया जाता है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने के आदेश दे रखे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमा पानी में विलिन नहीं होती बल्कि पानी को दूषित भी करती है। मेयर गहलोत को चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवा कर मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की ही बिक्री करवावें।
(एस.पी. मित्तल) (01-09-2016)
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