आखिर यह क्या हो रहा है अजमेर के वकीलों के बीच। इधर हड़ताल, उधर जयपुर में जस्टिस शर्मा से मुलाकात।
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एक समय था जब राजस्थान में ही नहीं बल्कि देशभर में अजमेर बार एसोसिएशन का सम्मान था। अजमेर के अनेक वकील हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी बने है। आरजेएस की परीक्षा या एडीजे की नियुक्ति में भी अजमेर के वकील अव्वल रहे हैं। लेकिन इन दिनों वकीलों की आपसी खींचतान की वजह से बार एसोसिएशन की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। 9 सितम्बर को एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहन सिंह राठौड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने जयपुर में जस्टिस महेश चन्द्र शर्मा से मुलाकात की तो अजमेर में पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन के नेतृत्व में वकील हड़ताल पर चले गए। 8 सितम्बर को एक महिला न्यायिक अधिकारी द्वारा कथित दुव्र्यवहार को लेकर वकीलों ने नाराजगी जताई थी लेकिन इस मुद्दे पर भी वकील समुदाय कई धड़ों में बटा हुआ है, जिसकी वजह से कोई दबाव नहीं बन पा रहा है। जयपुर में जस्टिस शर्मा ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को वकील समुदाय का सम्मान करना ही चाहिए। जस्टिस शर्मा से मुलाकात के बाद एसोसिएशन के अध्यक्ष संतुष्ट नजर आए तो इधर अजमेर में नाराज वकीलों का कहना था कि दुव्र्यवहार के आरोपी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। इसे वकीलों की गरिमा के प्रतिकूल ही कहा जाएगा कि एसोसिएशन के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों की सहमति के बिना ही हड़ताल हो रही है।
माना जा रहा है कि वकीलों की खींचतान के पीछे एसोसिएशन के चुनाव हैं। टंडन का आरोप है कि राठौड़ का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी नए चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं, जबकि राठौड़ का कहना है कि चुनाव के नियम स्पष्ट होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। अभी नियमों का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। भले ही चुनाव को लेकर वकीलों में आपसी खींचतान हो रही है। लेकिन इसका खामियाजा पक्षकारों को उठाना पड़ रहा है। 9 सितम्बर को भी अचानक हड़ताल हो जाने से पक्षकारों को भारी परेशानी हुई।
(एस.पी. मित्तल) (09-09-2016)
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