राजनेताओं के बगैर ही अजमेर में शुरू हो गई एमआरआई मशीन। बीपीएल, भामाशाह, मेडिक्लेम वालों को भी मिलेगी सुविधा।
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13 सितम्बर को अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में 10 करोड़ रुपए की लागत से लगी एमआरआई मशीन शुरू हो गई है। आश्चर्यजनक बात यह है कि मशीन के शुरू होने पर अजमेर का कोई भी राजनेता उपस्थित नहीं था। जो विधायक और मंत्री नाली निर्माण का भी उद्घाटन करने में पीछे नहीं रहते थे, वे भी मशीन के शुभारंभ के मौके पर नजर नहीं आए। असल में यह मशीन पीपीपी मॉडल पर जयपुर के सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेन्टर के द्वारा लगाई गई है। इसमें एक रुपया भी सरकार का नहीं लगा है। ऐसे में कोई भी राजनेता अथवा अधिकारी का मशीन लगाने में सहयोग नहीं रहा है। यही वजह रही कि मशीन लगाने वाली संस्था ने 13 सितम्बर को सुबह धार्मिक अनुष्ठान करने के साथ ही मशीन पर कामकाज शुरू कर दिया। मशीन के शुभारंभ के अवसर पर अस्पताल में उप अधीक्षक डॉ. विक्रान्त ने बताया कि बीपीएल, भामाशाह, मेडिक्लेम आदि की सुविधा वाले मरीज भी एमआरआई करा सकते हैं। अजमेर के सरकारी क्षेत्र में यह पहली मशीन है जो पीपीपी माडल पर लगी है। उन्होंने बताया कि इस मशीन को लगाने के लिए 10 वर्षों से प्रयास हो रहे थे लेकिन सफलता आज मिली है। इस मशीन की उपयोगिता यहां मेडिकल कालेज में पीजी की पढ़ाई कर रहे डाक्टरों के लिए भी है। पीजी की डिग्री के लिए एमआरआई मशीन का होना भी जरूरी है। इस मशीन के बिना एमसीआई पीजी की डिग्री भी रोक सकती है। लेकिन अब पीजी करने वाले डाक्टर भी मशीन का अध्ययन कर सकेंगें। प्राइवेट अस्पतालों में एमआरआई का जो शुल्क वसूला जाता है, उससे आधे शुल्क में ही इस मशीन पर एमआरआई हो सकेगी। इतना ही नहीं संबंधित संस्था अपनी आय का 20 प्रतिशत राजस्थान मेडिकल रिलीफ फण्ड में जमा करवाएगी। विकलांग, पूर्व सैनिक जैसी श्रेणियों के मरीज भी इस मशीन का लाभ उठा सकेंगे।
(एस.पी. मित्तल) (13-09-2016)
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